यूपी के चुनाव के चलते केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के सामने घुटने टेक दिए .अब किसान दिल्ली की दहलीज से गांव लौटेंगे .और इस जीत का जश्न गांव गांव मनेगा .पर इसके बाद क्या होगा सुने आज की जनादेश चर्चा .
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। आंदोलन हुआ स्थगित, 11 दिसंबर से घर जाने लगेंगे किसान । किसान नेता बोले - सरकार ने वादे नहीं निभाए तो फिर होगा आंदोलन
पंद्रह महीनों के आंदोलन ने क्या सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया? मोदी सरकार को उनकी अधिकाश माँगे क्यों माननी पड़ी हैं मगर क्या इसे किसानों की पूरी जीत माना जा सकता है? किसान क्यों कह रहे हैं कि दिल्ली की सीमाओं से हटने के ऐलान के बावजूद आंदोलन जारी रहेगा? पाँच राज्यों के चुनाव पर सरकार की इस हार का क्या असर पड़ेगा?
विश्व का सबसे लम्बा चलने वाला किसान आंदोलन आज ख़त्म हुआ। संयुक्त किसान मोर्चा की सभी मांगें सरकार ने मान ली जिसके बाद आंदोलन ख़त्म होने की घोषणा हुई। 11 दिसंबर को किसान अपने घर लौटेंगे लेकिन हर महीने स्थिति की समीक्षा होगी। आखिर मोदी सरकार को किसानों ने झुका ही दिया।
किसानों के आंदोलन ने मोदी सरकार को बैकफ़ुट पर धकेल दिया। सरकार को समझ आ गया था कि यह आंदोलन उसकी सियासी ज़मीन को खिसका सकता है, इसलिए उसने किसानों की मांगों को मान लिया।
तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 15 महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आज आंदोलन ख़त्म करने की घोषणा कर दी है। जानिए, किसानों की कौन सी मांगें मानी गईं और कौन सी नहीं।
सरकार की नई पेशकश कया किसानों ने मंज़ूर कर ली है अगर नहीं तो गतिरोध किन मुद्दों पर बना हुआ है? क्या एमएसपी पर कमेटी के गठन को लेकर पेंच फँसा हुआ है? किस सूरत में किसान अपना आंदोलन ख़त्म कर सकते हैं? क्या सरकार उनकी सभी माँगों को तुरंत मानने के लिए तैयार हो सकती है?
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । सरकार के प्रस्ताव को माने किसान, कल फिर होगी बैठक । किसान नेता बोले - अब गेंद सरकार के पाले में, कल अंतिम फैसला
सरकार ने किसानों की सभी माँगों को मानने के दिये संकेत ! सरकार का नया प्रस्ताव । किसान चर्चा को तैयार । कल किसान मोर्चा की निर्णायक बैठक । तो क्या एक साल बाद ख़त्म होगा आंदोलन ? आशुतोष के साथ चर्चा में विनोद अग्निहोत्री, पुष्पेंद्र चौधरी, शरद गुप्ता, शकील शम्सी और अनिका ऐरन ।