Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। आंदोलन में साज़िश हुई, अमित शाह बर्खास्त किए जाएँ: कांग्रेस । 37 किसान नेताओं के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने दर्ज किए केस
ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के लिए आख़िर कौन जिम्मेदार? आंदोलन पर टूट पड़ी सरकार, किसान नेताओं के ख़िलाफ़ मामले दर्ज। देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण। Satya Hindi
राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने आन्दोलन छोड़ वापस लौटने के एलान करते हुए कहा कि वे सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए आन्दोलन में शामिल हुए थे।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। वीएम सिंह किसान आंदोलन से अलग हुए, टिकैत पर आरोप । भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) ने भी आंदोलन किया ख़त्म
ट्रैक्टर रैली हिंसा के बाद अब पुलिस की सक्रियता तेज दिखने लगी है। पुलिस ने किसान नेताओं पर एफ़आईआर दर्ज की है। इनमें योगेंद्र यादव और कम से कम 9 किसान नेताओं के नाम हैं। इन 10 लोगों में बीकेयू नेता राकेश टिकैत का भी नाम है।
क्या केंद्र सरकार कृषि क़ानूनों पर पहले से अधिक सख़्त रुख अपनाएगी और बातचीत फिर शुरू करने में दिलचस्पी नहीं लेगी? क्या किसान संगठन ट्रैक्टर रैली और हिंसा के बाद अपने स्टैंड से पीछे हटेंगे?
गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली में हिंसा के बाद अब एक फ़रवरी को बजट के दिन प्रस्तावित 'संसद मार्च' रद्द किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार किसान संगठनों ने इसके संकेत दिए हैं।
ट्रैक्टर रैली के दौरान मंगलवार को जो हिंसा हुई उसके लिए क्या कोई योजना बनी थी और यदि बनाई थी तो किसने? क्या इसमें केंद्र सरकार की एजेंसियों का हाथ था और क्या पंजाबी फ़िल्मों के अभिनेता दीप सिद्धू ने इसमें अहम भूमिका निभाई?
ट्रैक्टर रैली हिंसा में मंगलवार को कम से कम 300 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हिंसा के मामले में अब तक 22 एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं। क़रीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहा किसान आंदोलन निरंकुशता के विरुद्ध लोक के तंत्र को पुन: स्थापित करने का आंदोलन है, ट्रैक्टर परेड लोकविरोधी सरकार को चेतावनी देते हुए लोक की संप्रभुता को प्रदर्शित करने का प्रयास है।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। ‘अफ़सोसजनक है कि केन्द्र ने स्थिति इस हद तक बिगड़ने दी’।लाल किले में घुसे किसान, फहरा दिया अपना झंडा
क्या किसानों ने अपने ही आंदोलन को कमज़ोर किया ? दिल्ली पुलिस जानबूझकर किसानों की छवि ख़राब कर रही है? सरकार जीत पाएगी किसानों का भरोसा? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का विश्लेषण।