Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। किसान नेताओं का एलान, 6 फ़रवरी को देश भर में जाम करेंगे सड़कें । ग़ाज़ीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर बैरिकेडिंग, लगाए कटीले तार
किसान प्रदर्शन के दौरान नवरीत सिंह की मौत के मामले में पुलिस जितनी सफ़ाई दे रही है उससे ज़्यादा सवाल खड़े होते जा रहे हैं। पुलिस ने दावा किया कि 26 जनवरी को किसानों के प्रदर्शन के दौरान नवरीत सिंह की मौत ट्रैक्टर पलटने से हुई थी।
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हुंकार भर रहे आंदोलनकारी किसान जिन बॉर्डर्स पर बैठे हैं, वहां इन दिनों बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात करने, कंक्रीट की दीवार बनाने सहित कई क़दम उठाए जा रहे हैं।
क्या अहंकार में आकर प्रदर्शनों को अनदेखा कर रही मोदी सरकार? बजट से आम आदमी को कुछ मिला भी है? म्यांमार में तख्तापलट के मायने। देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का विश्लेषण। Satya Hindi
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। मुज़फ़्फरनगर,बागपत के बाद बिजनौर की महापंचायत में उमड़े लोग । ट्रैक्टर परेड हिंसा : 44 FIR दर्ज, 122 लोगों की हुई गिरफ़्तारी
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। आंदोलनः सिंघु बॉर्डर को बिल्कुल अलग-थलग करने की कोशिश । किसान एकता मोर्चा के व कई और ट्विटर अकाउंट्स को रोका गया ।
उत्तर भारत में एक नये नायक का उदय हुआ है जिसमें अपार संभावनाएँ हैं तो फुस्स हो जाने का ख़तरा भी । क्या राकेश टिकैत में अन्ना हज़ारे को न दोहराने की क्षमता है ? क्या लोकप्रियता के शिखर को समानांतर बनाए रख सकने की सामर्थ्य है ? पड़ताल कर रहे हैं शीतल पी सिंह
किसान आंदोलन में दिल्ली का ऐतिहासिक लाल क़िला भी चर्चा में आ गया है। कुछ जगह उपद्रव होने की ख़बरों के बीच सबसे ज़्यादा फोकस इस बात पर रहा कि कुछ लोगों ने लाल क़िले पर तिरंगे के बजाय दूसरा झंडा फहरा दिया।
कृषि क़ानूनों के वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन ने जाति और धर्म की बाधाओं को तोड़ कर लोगों को एकजुट कर दिया है। इसके अलावा, इन्होंने राजनेताओं को इस मामले से दूरी बनाये रखने के लिए कहा है।
पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पाण्डेय जैसे पत्रकारों और कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर अब दिल्ली पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है। किसान आंदोलन हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट के लिए केस दर्ज किया गया है।
किसान नेता राकेश टिकैत के आँसुओं से क्या सरकार को डर लग गया? 26 जनवरी को किसान प्रदर्शन के दिन हिंसा के बाद बंद किए गए इंटरनेट को बहाल किया ही जा रहा था कि फिर से इंटरनेट को बंद कर दिया गया।
29 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर हुए पथराव की तमाम सचाइयाँ सामने आ गई हैं। यह साफ़ हो गया है कि किसानों के आंदोलन से नाराज़ स्थानीय लोग इस प्रायोजित हिंसा में शामिल नहीं थे।