मोदी द्वारा किसानों को आंदोलनजीवी बताने का क्या अर्थ ? चमोली आपदा के लिए ज़िम्मेदार कौन? सरकार और ट्विटर के बीच बढ़ने वाली है तनातनी? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण.Satya Hindi
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में जो बातें कही उससे क्या समझा जाये? क्या वो किसानों के आंदोलन के प्रति गंभीर हैं? आशुतोष के साथ चर्चा में आलोक जोशी, विजय त्रिवेदी, सतीश के सिंह, तेजेंद्र सिंह विर्क।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन को लेकर उस जमात पर भी तंज कसा जो हर आन्दोलन में कड़ी आ जाती है। उन्होंने इन्हें आंदोलनजीवी, परजीवी आदि कहा। पर वे भी तो कभी आडवाणी के रथ यात्रा आन्दोलन में शामिल थे। आज की जनादेश में चर्चा इसी पर।
बीजेपी के गढ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी की कैसे बढ़ीं मुश्किलें? बंगाल में किसान आंदोलन का कितना असर होगा? इसके अलावा असम, पंजाब जैसे राज्यों के चुनाव को लेकर विशेष चर्चा। देखिए वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार से महत्वपूर्ण बातचीत! Satya Hindi
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। रियाना के ट्वीट के ख़िलाफ़ हस्तियों के ट्वीट की जाँच करेगा महाराष्ट्र । अब सरकार ने कहा कि ट्विटर 1178 खाते बंद करे
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। पीएम :कुछ सिखों के लिए ग़लत भाषा बोलते हैं, इससे देश का भला नहीं होगा । मोदी : कुछ लोग ‘आंदोलनजीवी’ हो गए हैं
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आन्दोलन और उसे स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले समर्थन से बौखला गए हैं? क्या वे यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि लोग इससे जुड़ते जा रहे है?
किसान आंदोलन पर ट्वीट को लेकर ट्विटर और सरकार के बीच तनातनी और बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए कि सरकार ने अब यह कहते हुए 1178 ट्विटर खातों को बंद करने के लिए लिए कहा है कि ये खाते पाकिस्तान और खालिस्तान से सहानुभूति रखते हैं।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। किसान नेता दर्शन पाल बोले - खट्टर सरकार को उखाड़ फेंको । यूपी से लेकर हरियाणा तक महापंचायतों में रही जबरदस्त भीड़
राज ठाकरे ने कहा है कि केंद्र सरकार को किसानों के मामले में अपने समर्थन में ट्वीट करवाकर लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर जैसी हस्तियों की प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगाना चाहिए।
कृषि क़ानून और किसान आन्दोलन पर क्यों सरकार ढिठाई से बिना पलक झपकाए उस सदन में झूठ बोल रही है, जहाँ संसद को गुमराह करना जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार का हनन है?
किसानों का चक्का-जाम बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया और उसमें 26 जनवरी- जैसी कोई घटना नहीं घटी, यह बहुत ही सराहनीय है। केंद्र सरकार कृषि क़ानूनों को मानने या न मानने की छूट राज्यों को क्यों नहीं दे देती?
किसानों को समर्थन देने के लिए भी हिम्मत जुटाने का ज़रूरत क्यों? महिलाओं को चुप कराने के लिए बलात्कार की धमकियाँ आम क्यों? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास की रिपोर्ट