10वें दौर की वार्ता में किसानों के लिए केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव हैरान करने वाला था कि विवादास्पद तीन कृषि क़ानूनों को एक से डेढ़ साल के लिए स्थगित कर दिया जाएगा। सरकार ऐसा करने को तैयार क्यों हुई?
सरकार ने कृषि क़ानून पर डेढ़ साल तक स्थगन यानी रोक लगाने का प्रस्ताव तो दे दिया है, लेकिन वह ऐसा करेगी कैसे? क्या संविधान में कहीं ऐसा कोई प्रावधान है कि सरकार किसी क़ानून को रोक दे या रद्द कर दे?
केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में और किसानों से बग़ैर पूर्व सलाह मशविरा के कृषि क़ानून पारित करने के आरोप को एक बार फिर ख़ारिज कर दिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इन क़ानूनों पर बातचीत दो दशक से भी लंबे समय से चल रही थी।
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की पीठ से जो सरकार के ख़िलाफ़ गर्जन-तर्जन हो रहा था, उसे फटकार सुनाई जा रही थी, उसका खोखलापन तुरत उजागर हो गया। पूरी सुनवाई किसानों के हित, देश की भलाई का एक कमज़ोर स्वाँग भर थी।
कृषि क़ानून 2020 के ख़िलाफ़ लगभग डेढ़ महीने से आन्दोलन कर रहे किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट की प्रस्तावित कमेटी के सामने पेश होने और उनसे बात करने से साफ इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब किसान आंदोलन का क्या होगी? किसान आंदोलन के कारण हरियाणा सरकार गिरेगी ? ट्रंप समर्थक बिगाड़ेंगे बाइडन का शपथ ग्रहण समारोह ? देखिए वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी का विश्लेषण। Satya Hindi
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। राकेश टिकैत बोले- कानून बनाने वाले लोग ही कमेटी में । योगेन्द्र यादव : ये सरकारी कमेटी, हम बात नहीं करेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने बनाई कमेटी, किसान संगठनों की असहमति, अब आगे क्या? अगर आंदोलन में खालिस्तानी शामिल तो सरकार पकड़ती क्यों नहीं? इसके अलावा शो में देखिए क्या ट्रंप के समर्थक बाइडन के शपथ ग्रहण में हिंसा करेंगे ? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का ख़ास विश्लेषण। Satya Hindi
सुप्रीम कोर्ट ने तीनों विवादित कानूनों को लागू किए जाने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है जो किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता का काम कर सकती है। इसके लिए अदालत ने कुछ विशेषज्ञों के नाम भी सुझाए हैं। सवाल है कि क्या इससे समस्या हल हो जाएगी? क्या किसान इसके बाद आंदोलन वापस ले लेंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने किसान आन्दोलन को देखते हुए कृषि क़ानून 2020 पर एक कमेटी बनाई, कहा कि उसे ऐसा करने का पूरा अधिकार है और किसान संगठनों से कहा है कि यदि वे समस्या का समाधान चाहते हैं तो उन्हें इसके सामने पेश होना ही होगा।
कृषि क़ानूनों पर तात्कालिक रोक और कमेटी गठन के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी किसानों ने साफ़ तौर पर कहा है कि वे क़ानून वापस लिए जाने तक दिल्ली से अपने-अपने घरों को नहीं लौटेंगे।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। सुप्रीम कोर्ट ने बनाई कमेटी, कृषि क़ानूनों पर लगाई रोक । SC : ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे
किसानों की 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसने याचिका लगाकर प्रार्थना की है कि उस रैली निकालने के ख़िलाफ़ अदालत आदेश जारी करे।
नये कृषि क़ानून पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के नेताओं से बात की है और संसद के बजट सत्र से पहले साझा रणनीति तैयार करने की योजना पर चर्चा की है।
नये कृषि क़ानूनों पर गतिरोध को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समिति बनाने के सुझाव के बीच किसान ऐसी किसी कमेटी का हिस्सा बनने के पक्ष में नहीं हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस मामले में बयान जारी किया है।