फ़ेक न्यूज़ का अपना बाज़ार है। किसी का चरित्र हनन या किसी का चरित्र निर्माण आज झूठ के ज़रिए संभव है, बस आपके पास चुकाने की क़ीमत होनी चाहिए। आंदोलनों के समय यह धंधा और ज़ोर पकड़ लेता है। पर्दाफ़ाश कर रहे हैं शीतल पी सिंह।
जो ज़्यादा झूठ बोलेगा वही सत्ता हथियाएगा! कई शोधों से यह बात निकलकर सामने आती है। झूठी ख़बरों लोग ज़्यादा यक़ीन कर लेते हैं। तो क्या दुनिया भर में सरकारें इसी आधार पर बहुमत तय कर रही हैं?