अमेरिका के फ़ेडरल ट्रेड कमिशन यानी एफ़टीसी और अमेरिका के 48 राज्यों ने फ़ेसबुक पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को ख़त्म करने के गंभीर आरोप लगे हैं और केस दर्ज कराया गया है।
गूगल, एप्पल, फ़ेसबुक और एमेजॉन जैसी बड़ी और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनियों का बाज़ार पर एकाधिकार जल्द ही ख़त्म हो सकता है। यह भी हो सकता है कि इन कंपनियों को छोटी-छोटी कंपनियों में बाँट दिया जाए।
हेट पोस्ट का आरोप झेल रहे फ़ेसबुक पर कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के प्रयास का आरोप लगा है। फ़ेसबुक के ही एक पूर्व कर्मचारी ने यह आरोप लगाया है। इसमें दिल्ली चुनाव भी शामिल है।
ग़लती फ़ेसबुक ने की। सवाल फ़ेसबुक पर उठे। क्या कांग्रेस, क्या बीजेपी- दोनों ने इस वैश्विक प्लेटफ़ॉर्म के राजनीतिक दुरुपयोग को लेकर फ़ेसबुक को ही चिट्ठियाँ भी लिखीं। अब भारत सरकार भी फ़ेसबुक के प्रमुख को ही चिट्ठी लिख रही है!
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चिट्ठी में आरोप लगाया है कि फ़ेसबुक के एम्प्लॉयी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों को गालियां देते हैं और यह बात रिकॉर्ड पर है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के नए भंडाफोड़ ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि अंखी दास फेसबुक में मोदी के एजेंडे को आगे बढ़ा रही थीं। वे मोदी के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही थीं और मुसलमान-विरोधी पोस्ट न रोकना इसमें शामिल था। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
सूचना प्रौद्योगिकी पर बनी संसद की स्थायी समिति ने फ़ेसबुक प्रबंधन को इस बारे में जवाब तलब किया है और 2 सितंबर को बुलाया है। इस समिति के प्रमुख कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं।
फ़ेसबुक ने हेट स्पीच पर नज़र रखने के लिए एक ओवरसाइट बोर्ड बनाने का फ़ैसला किया है। इस ओवरसाइट बोर्ड में एक भारतीय समेत कई अंतरराष्ट्रीय ख्याति के लोग हैं।
दुनिया भर में फैले फ़ेसबुक के कर्मचारियों के एक समूह ने कंपनी में आंतरिक तौर पर पत्र लिखकर पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि फ़ेसबुक नेतृत्व मुसलिम विरोधी घृणा को पनपने न दें।