सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 31 को मणिपुर मामले की सुनवाई जारी रही। अदालत मंगलवार 1 अगस्त को इस मामले की सुनवाई फिर करेगी। भारत के चीफ जस्टिस ने इस बात पर सख्त टिप्पणी की कि दूसरे राज्यों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। अदालत ने कहा कि अन्य जगहों के मामलों की आड़ मणिपुर के लिए नहीं ली जा सकती।
भारत बहुसंस्कृति वाला देश है। हमारा संविधान भी इसकी पुष्टि करता है। यानी हमारे नेताओं ने ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां हर मजहब, जाति, समुदाय के लोग मिलजुल कर रहेंगे लेकिन स्तंभकार अपूर्वानंद कहते हैं कि उस ख्वाब की ताबीर को मणिपुर में कुचल दिया गया है।
सरकार संसद में मणिपुर पर भले ही चर्चा से बच रही है लेकिन दूसरी तरफ वो मणिपुर में शांति बहाली के लिए वहां के कुकी और मैतेई संगठनों से बातचीत कर रही है। यह बातचीत आईबी अफसरों के जरिए हो रही है।
मणिपुर पर यह कहकर बचा नहीं जा सकता कि ऐतिहासिक रूप से कुकी-मैतेयी विभाजन का मामला है। मणिपुर की हिंसा के लिए राज्य ज़िम्मेवार है, यह साफ़ साफ़ कहने की आवश्यकता है।
मणिपुर से पहली बार ऐसी कहानी सामने आई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मैतेई महिलाओं के नामी संगठन की महिलाओं ने 18 साल की कुकी लड़की को पुरुषों के हवाले कर दिया, जिन्होंने उसके साथ शारीरिक क्रूरता की, पीटा और गैंगरेप किया। द हिन्दू ने यह पूरी कहानी एफआईआर के जरिए प्रकाशित की है।
मणिपुर में महज मैतेई समीकरण की वजह से भाजपा ने वहां के हालात को दांव पर लगा दिया है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता। पढ़िए पूरा लेखः
मणिपुर वीडियो के जरिए जो भयावह सच सामने आया, उस पर पूरी मानवता शर्मसार है। लेकिन कुछ लोगों को तो शर्म भी नहीं आ रही। पीएम मोदी ने बहुत दुख जताया लेकिन मणिपुर के लोगों से शांति की अपील नहीं की। वो पिछले दो महीने से मणिपुर पर चुप थे। पत्रकार और स्तंभकार वंदिता मिश्रा कह रही हैं - प्रधानमंत्री और सरकार की उपस्थिति तो पहले से ही संदिग्ध है। पढ़िए उनका यह लेख।
पूर्व उग्रवादियों के संगठन ने मणिपुर के मैतेई लोगों को 'अपनी सुरक्षा' के लिए मिजोरम छोड़ने के लिए कहा है। अब वहां से मैतेई लोग जाने लगे हैं। मणिपुर सरकार ने उन्हें वहां से लाने का इंतजाम किया है।
असम राइफल्स ने मणिपुर इंटीग्रिटी नामक संगठन की समन्वय समिति के संयोजक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। क्योंकि संगठन ने लूटे गए हथियार लोगों से न सौंपने का आग्रह किया था, संगठन ने असम राइफल्स को हटाने की मांग की है। यह संगठन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के समय आगे-आगे था। यह सारा मामला बहुत ही अजीबोगरीब है। तथ्यों को जानकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
थौबल घटना के वायरल वीडियो के बाद अब एक महिला के जले हुए शरीर की तस्वीर वायरल हो रही है। मणिपुर के 10 विधायकों ने बयान जारी कर बलात्कार या हत्या की कम से कम चार अन्य घटनाओं का जिक्र किया है।