ममता पर बैन । वो धरने पर बैठी । लेकिन हिंमत और अधिकारी के ज़हरीले बयानों की अनदेखी ? आशुतोष के साथ चर्चा में उमाकांत लखेड़ा, राजेश बादल, प्रभाकर तिवारी, नीरेद्र नागर ।Satya Hindi
चुनाव आयोग ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 24 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से रोक दिया था। यह रोक 12 अप्रैल की रात 8 बजे से 13 अप्रैल की रात 8 बजे तक लागू रहेगी।
पाँच राज्यों में विधानसभा चुनावों के तीन चरण का मतदान पूर हो जाने और उसमें तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से कोरोना दिशा निर्देशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने के बाद चुनाव आयोग ने सख़्ती बरती है।
चुनाव तो पांच राज्यों में हो रहे हैं पर बंगाल का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण बन गया है .जहां पर चुनाव आयोग की भूमिका पर बहस शुरू हो गई है .आज की जनादेश चर्चा इसी पर शाम सात बजे
ममता पर धर्म के आधार पर वोट मांगने, नफ़रत फैलाने समेत कई आरोप हैं। पीएम मोदी ने कहा था कि अगर वे कहेंगे कि ‘हिन्दुओं एक हो जाओ’ तो उनके पास चुनाव आयोग के 8 से 10 नोटिस आ जाएँगे। ममता को चुनाव आयोग का नोटिस तो मोदी को क्यों नहीं?
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुसलिम वोटों के बँटवारे के मुद्दे पर उनके बयान को ध्यान में रख कर उन्हें नोटिस जारी किया है।
चुनाव आयोग ने दूसरे चरण के मतदान से जुड़े ममता बनर्जी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उसने इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का संकेत भी दिया है।
तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिकायत चुनाव आयोग से करते हुए कहा है कि बांग्लादेश के ओराकांदी मातुआ मंदिर जाकर उन्होंने पश्चिम बंगाल में उसी दिन हो रहे प्रथम चरण के मतदान को प्रभावित करने की कोशिश की है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दूसरी बार चुनावी मंच से चंडीपाठ किया है। बीजेपी की ओर से लगातार चुनावी रैलियों में ‘जय श्री राम’ के धार्मिक उद्घोष का राजनीतिक नारे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है।
चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस की शिकायत पर विचार करने के बाद सभी प्रचार माध्यमों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैक्सीन लेती तसवीर हटाने को कहा है। चुनाव आयोग ने कहा है कि 72 घंटे के अंदर सभी प्रचार माध्यमों से यह तसवीर हट जानी चाहिए।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने एमपी सरकार को निर्देश दिया है कि वह शक के घेरे में आए सभी तत्कालीन मंत्रियों और अफ़सरों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करे। कमलनाथ की मुश्किल बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर 'एक देश-एक चुनाव’ यानी सारे चुनाव एक साथ कराने का अपना इरादा जाहिर किया है। वह बार-बार इसे मुद्दे को क्यों छेड़ रहे हैं? चुनाव आयोग पर क्या असर होगा?
अगर चुनाव आयोग कोरोना के संकट के दौरान महाराष्ट्र में चुनाव कराने का आदेश दे सकता है तो कई राज्यों की राज्यसभा और विधान परिषद की सीटों के चुनाव को क्यों टाला जा रहा है?