एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुसलिम वोटों के बँटवारे के मुद्दे पर उनके बयान को ध्यान में रख कर उन्हें नोटिस जारी किया है।
चुनाव आयोग ने दूसरे चरण के मतदान से जुड़े ममता बनर्जी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उसने इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का संकेत भी दिया है।
तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिकायत चुनाव आयोग से करते हुए कहा है कि बांग्लादेश के ओराकांदी मातुआ मंदिर जाकर उन्होंने पश्चिम बंगाल में उसी दिन हो रहे प्रथम चरण के मतदान को प्रभावित करने की कोशिश की है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दूसरी बार चुनावी मंच से चंडीपाठ किया है। बीजेपी की ओर से लगातार चुनावी रैलियों में ‘जय श्री राम’ के धार्मिक उद्घोष का राजनीतिक नारे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है।
चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस की शिकायत पर विचार करने के बाद सभी प्रचार माध्यमों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैक्सीन लेती तसवीर हटाने को कहा है। चुनाव आयोग ने कहा है कि 72 घंटे के अंदर सभी प्रचार माध्यमों से यह तसवीर हट जानी चाहिए।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने एमपी सरकार को निर्देश दिया है कि वह शक के घेरे में आए सभी तत्कालीन मंत्रियों और अफ़सरों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करे। कमलनाथ की मुश्किल बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर 'एक देश-एक चुनाव’ यानी सारे चुनाव एक साथ कराने का अपना इरादा जाहिर किया है। वह बार-बार इसे मुद्दे को क्यों छेड़ रहे हैं? चुनाव आयोग पर क्या असर होगा?
अगर चुनाव आयोग कोरोना के संकट के दौरान महाराष्ट्र में चुनाव कराने का आदेश दे सकता है तो कई राज्यों की राज्यसभा और विधान परिषद की सीटों के चुनाव को क्यों टाला जा रहा है?
बीजेपी नेता केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के गंभीर आपत्तिजनक भाषणों पर चुनाव आयोग ने मामूली कार्रवाई क्यों की? उन्हें चुनाव अभियान से भी नहीं रोका, क्यों? देश संविधान के हिसाब से चलेगा या मनमानी तरीक़े से? संवैधानिक संस्थाएँ कमज़ोर क्यों हुईं? कौन हैं ज़िम्मेदार? देखिए आशुतोष की बात।
टी. एन. शेषन ने मुख्य चुनाव आयुक्त बनते ही जिन सुधारों का एलान किया और जिस सख़्ती से उन्हें लागू करवाया, उसने भारतीय राजनीति की दश दिशा बदल दी। शेषन ने रविवार को अंतिम सांसें लीं।
लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता भंग करने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को क्लीनचिट देने से असहति रखने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवाला की मुश्किलें सरकार और बढ़ाने वाली है।