चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है। अदालत का फ़ैसला चाहे जो भी आए, लेकिन सवाल है कि चुनावी बॉन्ड पर प्रश्न क्यों उठ रहे हैं और दलों को मिलने वाले चंदे में भारी अंतर क्यों है?
इलेक्टोरल बॉन्ड पर पहले सरकार ने कह दिया था कि लोगों को यह जानने का अधिकार नहीं है और अब चुनाव आयोग ने कह दिया है कि इस पर उसके पास आँकड़े ही नहीं है। जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा।
बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें उन पर चुनाव में पैसों का लालच देकर वोट खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाया जा रहा है। जानें मामला क्या है।
लंबी प्रक्रिया के बाद अब जाकर चुनाव आयोग ने माना है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या एनसीपी में फूट पड़ चुकी है। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को 6 अक्टूबर को सुनवाई को लिए बुलाया है।
कांग्रेस ने आज कर्नाटक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ पुलिस में शिकायत देते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग में भी शिकायत की है। अमित शाह पर साम्प्रदायिक भाषण देने का आरोप है।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले दर्जे को अपग्रेड किया है और इसके साथ ही आम आदमी पार्टी को बड़ा फायदा हुआ है। लेकिन टीएमसी, एनसीपी और सीपीआई को नुक़सान क्यों हुआ?
चुनाव के दौरान और राजनीतिक दलों के विवादों पर जिस तरह से चुनाव आयोग पर विपक्षी दल ऊंगलियाँ उठाते रहे हैं उसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फ़ैसला दिया है। जानें अब कैसे होगी नियुक्ति।
चुनाव आयोग की आपत्ती के बाद पार्टी की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया था कि जगन पांच साल तक ही पार्टी अध्यक्ष रहेंगे। पार्टी के स्पष्टीकरण को अभी तक चुनाव आयोग में रिपोर्ट नहीं किया गया है। चुनाव आयोग इसे अपने रिकॉर्ड में रखने के लिए पार्टी के संविधान की जांच कर रहा है।
शिवसेना नाम और धनुष-तीर का निशान एकनाथ शिंदे खेमे को दिए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। जानिए उद्धव गुट से पहले शिंदे ने क्यों अर्जी लगा दी।