क्या शिंदे और उनके विधायकों की बेचैनी मोदी-शाह का खेल बिगाड़ेगी? क्या अजीत पवार के दबदबे से नाराज़ होकर वे वापस शिवसेना का रुख़ करेंगे? विधानसभाध्यक्ष ने अगर शिंदे और उनके सोलह विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी तो क्या होगा? क्या नंबर गेम में अजित पवार शरद पवार को पटखनी दे पाएंगे? या फिर उनकी स्थिति भी शिंदे जैसी नहीं हो सकती है? अगर ये सरकार अस्थिर बनी रही तो मोदी की चुनावी योजना का क्या होगा?