कश्मीर में सड़कों पर खुली आज़ादी नहीं थी। कर्फ़्यू के हालात थे। बाजार पूरे नहीं खुले थे। टेलीफ़ोन, मोबाइल क़रीब-क़रीब ठप्प थे। आशंकाओं और संदेह के बादल छाए थे। इन्हीं बादलों के तले लोगों ने कश्मीरियों ने ईद मनाई।
जिन कश्मीरियों की बेहतरी और ख़ुशियों के नाम पर अनुच्छेद 370 में फेरबदल किया गया वे ईद की ख़ुशियाँ मना भी पाएँगे या नहीं, इस पर संदेह है। ईद के दिन सुरक्षा में ढील दी जाएगी या नहीं, इस पर रविवार को फ़ैसला लिया जाएगा।