रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आर्थिक मंदी की बात करते हुए मोदी सरकार पर ज़ोरदार हमला किया और कहा कि इसके लिए ख़ुद मोदी और उनका कार्यालय ज़िम्मेदार है।
प्याज के दाम कई जगहों पर 180 रुपये तक पहुँच गए? कई लोग इस पर प्रधानमंत्री के 'न खाऊँगा न खाने दूँगा' नारे को लेकर तंज कस रहे हैं। आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या अर्थव्यवस्था की मार की वजह से है? क्या ऐसी अर्थव्यवस्था से बेरोज़गारी और नहीं बढ़ेगी? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
बहुत जल्द ही आर्थिक मंदी देश के शासन में राजनैतिक लड़ाई का रूप लेने जा रही है। मंदी से राजस्व वसूली में आई गिरावट के बाद केंद्र ने राज्यों की हिस्सेदारी में कटौती शुरू कर दी है।
सरकारी एजेन्सी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (सीएसओ) ने बीते दिनों इस साल की दूसरी छमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत कर दी थी। अब आरबीआई ने इसका अनुमान 5 प्रतिशत लगाया है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने निर्मला सीतारमण को 'निर्बला' सीतारमण कहा। जवाब में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने जीडीपी के ही भविष्य में ख़त्म होने की संभावना जताई और कहा कि यह रामायण या महाभारत नहीं है। इकॉनमी पर चल रही बहस के दौरान उठ रहे ग़ैर गंभीर बयानों पर देखिए शीतल के सवाल।
सरकार जो 4.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्ध दर के दावे कर रही है, वह भी खोखला है, क्योंकि इसका बड़ा हिस्सा जिस निजी क्षेत्र से आता है, उसकी विकास दर 3.05 प्रतिशत ही है।
देश की आर्थिक स्थिति का हाल इतना बुरा हो चुका है कि अब सरकारी रियायतों और सुधारों का भी असर नहीं पड़ रहा है। ऑटो उद्योग को सरकारी छूट देने के बावजूद बिक्री गिरना जारी है।
आर्थिक बदहाली से परेशान जनता दल युनाइटेड का कहना है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार मनमोहन सिंह से सलाह ले और सहयोगी दलों से राय मशविरा करे।