कई देश पहले से ही आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं तो क्या अब आगे और भी बुरे दौर बाक़ी हैं? 2008 की आर्थिक मंदी की सटीक भविष्यवाणी करने वाले अर्थशास्त्री से जानिए, क्या होंगे हालात।
भारतीय अर्थव्यवस्था 75 साल में कहाँ पहुँची? `किसी भी कीमत पर विकास’ की रणनीति ने देश का क्या हाल किया है? विमुद्रीकरण, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और अचानक तालाबंदी से कैसा असर हुआ?
श्रीलंका आर्थिक रूप से कंगाल हो गया। तो क्या दुनिया में श्रीलंका ही एकमात्र ऐसा देश है जिसकी हालत ख़राब है? जानिए, श्रीलंका जैसी आर्थिक स्थिति होने का ख़तरा किन देशों के सामने है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के कई मंत्रियों ने पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के नारे को जोर-शोर से उछाला था। लेकिन क्या हम उस दिशा में आगे बढ़ पाए हैं?
कोविड-19 महामारी के बाद की कमज़ोरी दूर होने का नाम ही नहीं ले रही। शरीर पर असर हो, हमारे काम धंधों पर असर हो या देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर। सबसे बड़ा संकट तो रोज़गार के बाज़ार में दिख रहा है।
अर्थव्यवस्था का आईना समझा जाने वाला शेयर बाज़ार इस समय छलांगें लगा रहा है जबकि जीडीपी की दर माइनस में जा रही है। ऐसी मंदी कभी देखी नहीं गई थी और 2021 में भी इसके सुधरने के आसार कम ही हैं।
2020 की ख़ासियत यह रही है कि इस साल जितना भी बुरा हुआ, उसका आरोप मढ़ने के लिए एक खलनायक मौजूद है। ख़ासकर आर्थिक मोर्चे पर जितनी भी दुर्गति दिख रही है उसके लिए।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।गुजरातः कोरोना काल में 21% लोग भुखमरी से प्रभावित।कृषि मंत्री ने कहा - प्रस्ताव पर किसानों से नहीं मिला कोई जवाब