पश्चिम बंगाल में जारी विधानसभा चुनाव के बीच कोरोना संक्रमण के हालात कितने भयावह शक्ल ले चुके हैं, इसे कोलकाता हाई कोर्ट की बेहद तल्ख टिप्पणियों से समझा जा सकता है।
चुनाव आयोग ने पिछले महीने के तीसरे सप्ताह में केरल की तीन राज्यसभा सीटों के चुनाव की तारीख़ का ऐलान किया तो क़ानून मंत्रालय ने उसे चुनाव टालने का निर्देश दिया। चुनाव आयोग ने इसे टाल भी दिया। फिर इसे अपना फ़ैसला बदलना पड़ा।
एक दौर था जब मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन ने चुनाव नहीं होने दिया था। एक आज का दौर है कि चुनाव आयोग को उसकी शक्तियों की याद सुप्रीम कोर्ट को दिलानी पड़ रही है।
क्या चुनाव आयोग की आचार संहिता कारगर नहीं है? यदि ऐसा है तो 66 पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने राष्ट्रपति के नाम पत्र क्यों लिखा है? चुनाव आयोग के कामकाज के तरीक़े पर आपत्ति क्यों है?