इस वर्ष की नयी दुर्गा है-कोविड-19 की महामारी में बेरोज़गार, विस्थापित और पैदल घर लौटती हुई मज़दूरिन। लॉकडाउन में सरकारी अव्यवस्था के कारण जो एक करोड़ मजदूर और छोटे-छोटे कामों में लगे लोग विस्थापित हुए, उनका प्रतिनिधित्व करती हुई एक छवि।
लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण और इसकी वजह से चले लंबे लॉकडाउन ने पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा की तसवीर भी बदल दी है। इसके बावजूद आयोजकों और कलाकारों ने थीम-आधारित मूर्तियों और पंडालों की अपनी परंपरा जस की तस बरक़रार रखी है। प
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पंडाल में श्रद्धालुओं का प्रवेश नहीं होगा। यानी सिर्फ़ पंडाल के आयोजक ही अंदर जा सकेंगे। कलकत्ता हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है।