दो हज़ार का नोट बंद करने की माँग करके क्या बीजेपी नेता सुशील मोदी ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है? क्या इससे एक बार फिर ये साबित नहीं हो गया कि दो हज़ार का नोट चलाने से काला धन को और बढ़ावा मिला है? इस मांग ने नोटबंदी को एक बार फिर ग़लत नहीं ठहरा दिया है?
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फ़ैसले को सही ठहराया है। तो क्या आपको पता है कि नोटबंदी से क्या फायदा हुआ या फिर सरकार क्या चाहती थी?
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि नकली नोटों की संख्या और उनकी वैल्यू में अच्छी-खासी गिरावट आई है। इसके अलावा डिजिटल लेनदेन काफी बढ़ गया है। नोटबंदी को लेकर विपक्षी दल खासकर कांग्रेस मोदी सरकार पर जमकर हमलावर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नोटबंदी मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करने के लिए जब समय मांगा तो अदालत ने इसे शर्मनाक बताया। अदालत ने कहा कि इससे पहले एक महीने का वक्त दिया गया था। पढ़िए पूरी रिपोर्टः
छह साल में नोटबंदी से कोई फायदा भी हुआ? यदि ऐसा हुआ तो सरकार ने उन फायदों को गिनाती क्यों नहीं? क्यों नहीं प्रधानमंत्री मोदी नोटबंदी का ज़िक्र भी करते हैं?
आज नोटबंदी को छह साल हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पचास दिन क्यों मांगे थे? क्या लक्ष्य था नोटबंदी का? और क्या हासिल हुआ? कहां गए दो हज़ार के नोट? कैशलेस सोसाइटी का क्या हुआ? और किसे लगा है नोटबंदी का झटका? अर्थशास्त्री सौरभ झा से आलोक जोशी की बातचीत।
देश में छह साल पहले की गई नोटबंदी के सरकार के फ़ैसले की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट कर सकता है या नहीं, इस सवाल का आज जवाब मिल गया है। जानिए संविधान पीठ ने क्या कहा।
'कौन बनेगा करोड़पति' के प्रोमो में एक सवाल ने ट्विटर यूजरों को फिर से '2000 के नोट में जीपीएस चिप' का मुद्दा पकड़ा दिया है! जानिए, लोगों ने कैसी-कैसी टिप्पणी की और कौन रहा निशाने पर।
तीन साल पहले रात आठ बजे नोटबंदी के एलान के समय मोदी ने चार बड़े टार्गेट तय किये थे। क्या ये चारों लक्ष्य सरकार पाने में कामयाब रही? अर्थव्यवस्था पर इसका कितना ख़राब असर पड़ा? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
नोटबंदी क्या भारत की राजनीति में बोला गया सबसे बड़ा झूठ है? क्या नोटबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुँचा दिया? 8 नवंबर को देश नोटबंदी की तीसरी बरसी झेल रहा है।
एक नयी रिपोर्ट के अनुसार, ख़ासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 50 लाख लोगों ने नोटबंदी के बाद अपना रोज़गार खो दिया है। इस मुद्दे पर देखिये वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।