प्रजातंत्र जनता से चलता है। प्रजातंत्र देश के हर समुदाय, वर्ग को साथ लेकर चलने का नाम है। भारतीय संविधान भी यही कहता है। लेकिन हाल ही में एक धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में भारत की स्थिति को भयावह बताया गया है। भारत में 2014 के बाद अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक आजादी छिन गई है। भारत ने इस अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट को खारिज कर दिया। भारत हर साल ऐसी रिपोर्टों को खारिज करता आ रहा है। लेकिन क्या इससे भारतीय लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। उसकी खामियां पर कितना पर्दा डाला जायेगा। भारत में प्रजातंत्र को कैसे मारा जा रहा है, उसी पर नजर डाली है वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह नेः