शनिवार को सोलंकी हत्या मामले में दाखिल चार्जशीट को भी शामिल कर लिया जाए तो ताहिर हुसैन सहित 212 नाम मुसलिम समुदाय के हैं। शुक्रवार तक 410 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट हुई थी जिसमें 205 हिंदू थे।
दिल्ली हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की एक के बाद एक दाखिल हो रही चार्जशीट रोज़ नए खुलासे कर रही है। मगर असली खुलासा स्पेशल सेल द्वारा दाखिल होने वाली चार्जशीट में देखा जा सकेगा।
दिल्ली दंगों के मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित 3 लोगों को दिल्ली सरकार ने अपनी पैरवी करने के लिए नियुक्त किया है। इसे लेकर लोगों ने अरविंद केजरीवाल की जमकर खिंचाई की है।
दिल्ली पुलिस की भूमिका और कार्यशैली लगातार शक़ के घेरे में रही है। ऐसा बार-बार देखा गया है कि वह केंद्र सरकार के इशारे पर कुछ ख़ास लोगों, संस्थाओं और समुदायों को निशाना बना रही है। फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान भी उसको लेकर ढेर सारे सवाल उठे थे अब उसने दिल्ली दंगों के जो आँकड़े दिए हैं वे भी उसके और केंद्र सरकार के इरादों पर संदेह पैदा करने वाले हैं। पहले आए आँकड़ों की तुलना की जाए तो ज़मीन-आसमान का अंतर देखा जा सकता है।
जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र नेता उमर ख़ालिद पर दिल्ली में हुए दंगों को लेकर ग़ैर क़ानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम (यूएपीए) लगा दिया गया है।
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बाद भले ही लोग घरों में बंद है, लेकिन दिल्ली पुलिस नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों की गिरफ़्तारी में व्यस्त है। पुलिस की प्राथमिकता क्या है?