उत्तर प्रदेश की खस्ताहाल क़ानून व्यवस्था चर्चा में है। प्रदेश के तमाम ज़िलों में हत्याएँ, बलात्कार, जातीय संघर्ष की ख़बरें आ रही हैं। हिंसा के शिकार ज़्यादातर दलित पिछड़े वर्ग के लोग बन रहे हैं।
राजस्थान के नागौर ज़िले में दलितों की पिटाई का जो वीडियो सामने आया है, उसे देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत की क़रीब 20 प्रतिशत आबादी भी 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुई थी।
दलितों को प्रताड़ित करने और उनके मौलिक हक़ छीनने की वारदातों में एक नई घटना जुड़ गई है। ताज़ा घटना गुजरात के बनासकांठा की है जहाँ एक दलित सैनिक को शादी में घोड़ी चढ़ने से रोक दिया गया...Satya Hindi
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के दलित पी. एचडी. स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या के 4 साल बाद क्या देश में दलितों की स्थिति में कोई सुधार हुआ है? क्या उच्च शिक्षा संस्थानी स्थिति बेहतर हुई है?
रिपोर्ट बताती है कि बहुत सारी दलित औरतों ने पाया कि ज़मीन के काग़ज़ पर से उनके नाम हट गए हैं और उनके मालिक अब गाँव के दबंग जातियों के लोग हैं। क्यों है ऐसी स्थिति?
‘सबका साथ-सबका विकास’ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में ही ऊँची जाति के कुछ लोगों ने एक दलित उप-सरपंच को कथित रूप से पीट-पीट कर मार डाला।