कोरोना संकट से निपटने के मामले में सरकार दिशाहीनता की शिकार है और दुविधाग्रस्त भी। इसीलिए साफ़ दिख रहा है कि वह न तो कोरोना पर काबू पा पा रही है और न ही अर्थव्यवस्था को सँभालने में सफल हो पा रही है। लॉकडाउन के पचास दिन बाद का आकलन बताता है कि कोरोना संक्रमण अब और तेज़ी से फैल रहा है, उसकी रफ़्तार बढ़ती ही जा रही है। इसका मतलब है लॉकडाउन फेल हो गया है और इसके लिए और कोई नहीं सरकार ही ज़िम्मेदार है। सवाल उठता है कि ऐसे में सरकार क्या कर रही है और क्या करेगी?