कोरोना संकट ने सरकार की कई विफलताओं को बेपर्दा कर दिया है, मगर सबसे ज़्यादा उसकी छीछालेदर उन नीतियों के कारण हो रही है, जिनको कभी उसने खारिज़ कर दिया था मगर आज उन्हीं के सहारे उसे आगे बढ़ना पड़ रहा है। मसलन, मनरेगा को उसने यूपीए की विफलताओं का स्मारक बताया था, मगर ग़रीबों को रोज़गार के ज़रिए मदद देने के लिए वह कोई और विकल्प नहीं ढूँढ़ पाई है। इसी तरह दो और मोर्चे हैं जिन्हें उसकी विफलताओं का स्मारक कहा जा सकता है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की विशेष चर्चा द डेली शो।