भारत में कोरोना संक्रमण के मामले 15 लाख से ज़्यादा हो गए हैं। जून महीने के आख़िर में संक्रमण के मामले क़रीब 5 लाख 85 हज़ार थे, लेकिन 28 दिन में ही यह संख्या क़रीब 10 लाख बढ़ गई है।
लॉकडाउन के कारण रेल सेवा प्रभावित होने से नौकरीपेशा लोगों के लिए पुणे से मुंबई के लिए नियमित रूप से काम पर जाना-आना संभव नहीं हो पा रहा है। इनकी नौकरी ख़तरे में है।
कोरोना महामारी से ग्रस्त अमेरिका में हालात सुधरने के नाम नहीं ले रहे। अब तो उम्मीदें वैक्सीन पर टिकी हुई हैं। अमेरिकी कंपनियाँ युद्ध स्तर पर अपने प्रयोगों को आगे बढ़ा रही हैं। पेश है वाशिंगटन में रह रही वैज्ञानिक डॉ. इंद्राणी बरुआ से इस मुद्दे पर बातचीत।
उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में कोरोना इलाज में जिन लापरवाहियों को प्रशासन नकार रहा है उसको अब झाँसी के हॉस्पिटल के एक वीडियो ने पुष्ट करने का काम किया है।
कोरोना तो, बकौल एक केन्द्रीय मंत्री, पापड़ खा कर ख़त्म किया जा सकता है। सोचिये, दुनिया के 715 करोड़ लोग, हज़ारों वैज्ञानिक, सैकड़ों संस्थान और 16 वैक्सीन पर चल रहे शोध के बाद भी समझ नहीं आयी कि पापड़ से कोरोना वायरस कैसे भागता है।
अमेरिका कोरोना वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश है, मगर उससे लड़ने के मामले में वह अंदर ही अंदर बुरी तरह विभाजित भी है। न केवल राजनीतिक स्तर पर बल्कि सामाजिक स्तर पर भी ये बँटवारा देखा जा सकता है। अमेरिका में रह रहीं रचना नाथ ने इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार को विस्तार से बताया।
छह महीनों बाद भी अमेरिका में हालात बदतर बने हुए हैं। कोरोना महामारी से लड़ने में ट्रम्प सरकार की नाकामी हर जगह देखी जा सकती है। मेफिस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. सुभाष झा से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने बातचीत करके पूरा ब्यौरा लिया।
भले ही मेडिकल साइंस कोरोना की वैक्सीन तैयार न कर पाया हो, नेता एक के बाद एक 'अचूक दवा' लॉन्च किए जा रहे हैं। सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 'हनुमान चालीसा' पढ़कर कोरोना वायरस को ख़त्म करने की बात कही है।
लीलावती को मुंबई में उनके ऑटो ड्राइवर बेटे ने बेसहारा छोड़ दिया। कपड़ों का एक बैग और बिस्कुटों का एक पैकेट हाथ में लिए हुए वह बांद्रा रेलवे स्टेशन पर दिल्ली आने वाले श्रमिक स्पेशल का इंतजार करती पाई गईं।