वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकल प्रभाकर सरकार की आलोचना करने के लिए एक बार फिर खबरों में हैं। अपने यूट्यूब चैनल पर साप्ताहिक कार्यक्रम 'मिडवीक मैटर्स' में उन्होंने कोरोना से लड़ने के मुद्दे पर केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है।
इस समय मुख्य धारा का अधिकांश मीडिया, जिसमें कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों शामिल हैं, बिना किसी घोषित-अघोषित सरकारी अथवा अदालती हुक़्म के ही अपनी पूरी क्षमता के साथ सत्ता के चरणों में बिछा हुआ है।
ट्विटर ने केंद्र सरकार के कहने पर ऐसे कई ट्वीट हटा दिए, जिनमें कोरोना संभालने में सरकार की आलोचना की गई थी। इसमें कई राजनीतिक दल, एक्टर व पत्रकार के ट्वीट शामिल हैं।
इस समय कोरोना से जूझ रहे लोगों को बचाने का जितना काम पत्रकार कर रहे हैं, उतना शायद ही कोई कर रहा होगा। इस देश मे पिछले कुछ वर्षों से पत्रकारिता औऱ पत्रकार दोनों बदनाम रहे हैं। यह पूरी संस्था ही शक और संदेह में घिरी रही है।
दिल्ली सरकार लॉकडाउन बढ़ा सकती है। फिलहाल दिल्ली में लॉकडाउन है, जो 26 अप्रैल तक के लिए लगाया गया था। लेकिन सरकार इसे बढ़ाए जाने की संभावना पर विचार कर रही है।
राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन संकट के बीच दिल्ली और केंद्र की सरकारें क्या दिल्ली हाई कोर्ट की आंखों में धूल झोंक रही हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अदालत को विश्वास दिलाए जाने के बावजूद ऑक्सीजन का संकट खत्म नहीं हो रहा है।
भारत में बनने वाला कोरोना टीका कोवीशील्ड विदेशों में भारत की तुलना में सस्ते में बिक रहा है। भारतीय कंपनी भारत को वही दवा ऊंची कीमत पर बेच रही है, लेकिन वही कंपनी वही दवा विदेशों को उससे कम कीमत पर निर्यात कर रही है।
रेमडेसिविर नाम की दवा को लेकर देश भर में हाहाकार मचा हुआ है। जम कर कालाबाज़ारी हो रही है। क़रीब चार हज़ार रुपए की यह दवा 45 से 60 हज़ार में बिक रही है। कुछ जगहों से डेढ़ लाख में मिलने की ख़बर भी आयी है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने चेतावनी दी कि जो कोई ऑक्सीजन आपूर्ति रोकने की कोशिश करेगा, 'उसे लटका दिया जाएगा।' अदालत ने कहा कि यह कोरोना की दूसरी लहर नहीं, बल्कि सुनामी है और सरकार बताए कि वह उसे रोकने के लिए क्या कर रही है।
मध्य प्रदेश के भोपाल में कोरोना के गंभीर रोगियों की जान बचाने के लिये उपयोग किये जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शनों को मेडिकल कॉलेज की नर्स खुले बाज़ार में ब्लैक करवा कर पैसे बना रही थी।