डॉ. रमेश उपाध्याय, महानतम जनवादी लेखकों में से एक, विचारक, हरदिल-अज़ीज उस्ताद, बुद्धिजीवी, का 23-24 अप्रैल को रात लगभग 1. 30 बजे देहांत हो गया। लेखक शमसुल इसलाम की श्रद्धांजलि।
महाराष्ट्र में एक और बीजेपी नेता अब रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। देवेंद्र फडणवीस और प्रवीण दरेकर का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ कि अहमद नगर से बीजेपी सांसद सुजय विखे पाटिल का मामला गरमाने लगा है।
आईपीएल के 14वें सीजन से दो दिन के अंदर चार खिलाड़ी अपना नाम वापस ले चुके हैं। नाम वापस लेने वाले खिलाड़ियों में एक भारत का खिलाड़ी है, जबकि तीन विदेशी हैं।
ऐसे समय जब कुछ राज्य सरकारों ने लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगा दिए हैं और कुछ दूसरे ऐसा ही करने की सोच रहे हैं, केंद्र सरकार ने लॉकडाउन से जुड़े दिशा- निर्देश जारी कर दिए हैं।
झारखंड के बोकारो से मध्य प्रदेश के सागर ज़िला अस्पताल के लिए आ रहे ऑक्सीजन टैंकर को उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर में रोक लिया गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हस्तक्षेप के बाद ही उस टैंकर को छोड़ा गया।
कर्नाटक में एक दिन में कोरोना के 34 हज़ार नए मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने 14 दिनों का कर्फ़्यू लगाने का फ़ैसला किया है। यह मंगलवार रात से लागू होगा। यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब पूरे देश में 23 घंटे में साढ़े तीन लाख नए मामले सामने आए।
हाथरस सामूहिक बलात्कार कांड की खबर जुटाने जा रहे गिरफ़्तार पत्रकार सिद्दिक कप्पन को कोरोना संक्रमण हो गया। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिख कर कहा है कि कप्पन के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए।
ऐसे समय जब रोज़ाना कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की तादाद साढ़े तीन लाख से भी ज़्यादा हो गई है और हाहाकार मचा है, मद्रास हाई कोर्ट ने एक बेहद अहम फ़ैसले में इसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग को ज़िम्मेदार ठहराया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि राजधानी में 18 साल से ज़्यादा की उम्र के हर व्यक्ति को कोरोना टीका लगाया जाएगा और वह भी मुफ़्त। सरकार ने इसे देखते हुए एक करोड़ 34 लाख ख़ुराकों का ऑर्डर भी दे दिया है।
भारत में फैले कोरोना की प्रतिध्वनि सारी दुनिया में सुनाई पड़ रही है। अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक के देश चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं। जो अमेरिका कल-परसों तक भारत को वैक्सीन या उसका कच्चा माल देने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था, उसका रवैया थोड़ा नरम पड़ा है।
ऑक्सीजन की किल्लत, कोरोना टीके की कमी और पीपीई व जाँच किट्स की कमी के बीच भारत में एक दिन में नए कोरोना संक्रमण के मामले साढ़े तीन लाख की सीमा को पार कर गए हैं।
कई देशों ने मदद का हाथ भी बढ़ाया है और कहा है कि वे कोरोना महामारी से उबरने में भारत की हर मुमकिन मदद करेंगे। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने कहा है कि वे दवाएं, उपकरण व दवा के कच्चा माल भारत को तुरन्त भेजेंगे।
कोरोना संक्रमण को रोकने में सरकार की नाकामी को टीवी एंकर सिस्टम की नाकामी बता रहे हैं, सरकार की नहीं। क्या मामला है, पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का व्यंग्य।
ऑक्सीजन की कमी कितनी ख़तरनाक है, इसका अंदाज़ा उत्तर प्रदेश के कुछ आँकड़ों से लगा सकते हैं। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक़, लखनऊ में रोज़ 65 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की जरुरत है जबकि शुक्रवार को 56 मैट्रिक टन ही उपलब्ध था। यानी 9 मैट्रिक टन की कमी।
कोरोना से लड़ने में सरकार क्यों नाकाम है, उसने क्यों पहले से तैयारी नहीं की, ये सवाल हैं। लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सरकार चुनते वक्त किसी ख़ास समुदाय के प्रति नफ़रत नहीं थी? सवाल उठा रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।