कोरोना संक्रमण के मामलों का आंकड़ा एक बार फिर साढ़े तीन लाख के आसपास रहा और बीते 24 घंटों में संक्रमण के 3,43,144 मामले दर्ज किए गए और 4,000 लोगों की मौत हुई है।
देश में कोरोना वैक्सीन की भारी कमी की शिकायतों के बीच केंद्र सरकार ने दावा किया है कि इस साल के आख़िर तक यानी दिसंबर महीने तक भारत में 200 करोड़ से ज़्यादा वैक्सीन उपलब्ध होगी।
अनुपम खेर ने मोदी की वापसी को लेकर पिछले दिनों क्या कह दिया था, हाल में जो कुछ कहा है उसका ‘सारांश’ यह है कि : “कोरोना संकट में सरकार ‘फ़िसल’ गई है और उसे ज़िम्मेदार ठहराना महत्वपूर्ण है...'
कोविशील्ड वैक्सीन की जो खुराकें शुरुआत में 4 हफ़्ते के अंतराल में लगाई जा रही थीं उसको 12-16 हफ़्ते बढ़ाने की सरकारी पैनल ने सिफ़ारिश की है। कोविशील्ड की खुराक लेने के अंतराल में बढ़ोतरी से सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
ऐसे समय जब कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत को अधिक से अधिक आर्थिक मदद की ज़रूरत है, अरबों रुपए अटके पड़े हैं क्योंकि विदेशी दान नियामक अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद ग़ैर-सरकारी संस्थाओं को पैसे मिलना मुश्किल हो गया है।
बारह विपक्षी दलों ने एक संयुक्त चिट्ठी लिख कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना से निपटने के उपाय सुझाए हैं औ कुछ बेहद अहम माँगे रखी हैं, जिनमें सबको मुफ़्त कोरोना टीका देना सबसे ऊपर है।
गाँवों-क़स्बों में अस्पताल तो है नहीं, दूर-दराज के छोटे शहरों में कुछ छोटे अस्पताल हैं भी तो यह पता नहीं होता कि किस अस्पताल में क्या सुविधा है, कितने बेड खाली हैं?
किसे बचाएँ और किसे मरने के लिए छोड़ दें? कोरोना संकट ने अस्पतालों में डॉक्टरों के सामने ये हालात पैदा कर दिए हैं। ये हालात कई जगहों पर हैं। मरीज़ों के लिए आईसीयू बेड, वेंटिलेटर कम पड़ने पर ऐसी स्थिति आन पड़ती है।
पिछले दो दिनों में भले ही संक्रमण के मामले 4 लाख से कम आए हैं, लेकिन हालात बेहतर नहीं हैं। यदि देश के 734 ज़िलों में से 533 ज़िलों में संक्रमण ख़तरनाक स्तर की तेज़ी से फैल रहा हो तो हालात बेहद गंभीर ही होंगे। देश के 533 ज़िलों में पॉजिटिविटी रेट 10 से ज़्यादा है।