कोरोना के बाद ब्लैक फंगस ने चिंता बढ़ा दी है। यह चिंता इतनी बढ़ी कि राष्ट्रीय कोविड टास्क फोर्स के विशेषज्ञों ने रविवार को इस बीमारी को लेकर सलाह जारी की है। आख़िर यह ब्लैक फंगस क्या है और यह कितना ख़तरनाक है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पिछले सात साल के न्यूनतम स्तर पर है। हालांकि वे अभी भी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, उन्हें पसंद करने वालों से ज़्यादा संख्या उन्हें नापसंद करने वालों की है और यह भी सात साल में पहली बार हुआ है।
इस सेटेलाइट युग में भी मौतों के सही आँकड़े छुपाने के असफल और संवेदनहीन प्रयासों की तरह ही उस लहर से उत्पन्न होने वाले संताप और मौतों को भी ख़ारिज किया जाएगा, जिसकी कि हम बात करने जा रहे हैं।
भाजपा सरकार ने महामारी से जुड़े शासन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों जैसे: ऑक्सीजन उत्पादन, उत्पादन का नियंत्रण और कोविड-19 के इलाज से जुड़ी दवाओं जैसे रेमडेसिविर का वितरण आदि का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया था। लेकिन तैयारी कैसी हुई?
जिस 'कोविड टूलकिट' को कांग्रेस का बताया जा रहा है और जिसे केंद्र सरकार के मंत्रियों से लेकर बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं ने शेयर किया था उस 'कोविड टूलकिट' को एआईसीसी के जाली लेटरहेड पर बनाया गया था।
कोरोना वायरस के एक किस्म को 'सिंगापुर वैरिएंट' कहने पर भारी विवाद खड़ा हो गया। जहां सिंगापुर सरकार ने इस पर चिंता जताई है, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री भारत सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
देश में मंगलवार को 24 घंटे में रिकॉर्ड 4529 मौतें हुईं। कोरोना पॉजिटिव केस जब लगातार कम हो रहे हैं तो मौत के मामले क्यों बढ़ते जा रहे हैं? क्या कोरोना संक्रमित में मृत्यु दर बढ़ गई है?
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के लोगों को भले ही यह लगे कि सब कुछ चंगा है, पर सच यह है कि इसे कोरोना से राजनीतिक नुक़सान हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है।
कुछ दिन पहले ही ऑक्सीजन की कमी की बात कह कर सरकार की परोक्ष आलोचना करने और इस वजह से सुर्खियों में आने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर चर्चा में हैं।
कोरोना संक्रमण के जहाँ हर रोज़ 4 लाख केस आने लगे थे वे अब क़रीब ढाई लाख ही आ रहे हैं। संक्रमण के मामले कम हुए तो क्या दूसरी लहर उतार पर है? क्या यह अपने शिखर पर पहुँच चुका है?