केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने योग गुरु रामदेव को एक कड़ी चिट्ठी लिख कर फटकार लगाई है और एलौपैथी डॉक्टरों पर दिए गए बयान को वापस लेने को कहा है।
ऐसे समय में जब कोरोना महामारी के कारण विश्व अर्थव्यवस्था चौपट हो गई, करोड़ों लोग बेरोज़गार हो गए, दुनिया की कोई अर्थव्यवस्था इसकी चपेट में आने से नहीं बच सकी, आख़िर कैसे अरबपतियों की संख्या पाँच गुणे बढ़ गई और सबसे ज़्याद फ़ायदा उठाने वाले व्यक्ति की जायदाद में 100 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई?
दिल्ली में फिर से एक हफ़्ते के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। लेकिन इसके साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि संक्रमण के मामले कम होते रहे तो 31 मई से लॉकडाउन हटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
योग गुरु रामदेव फिर विवादों में हैं। इस बार उन्होंने कथित तौर पर एलोपैथी को स्टूपिड और दिवालिया साइंस कहा है। सोशल मीडिया पर उनका बयान वायरल हुआ तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने कार्रवाई की मांग की है।
देश में कोरोना संक्रमण के मामले घटकर अब ढाई लाख से भी नीचे आ गए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा रविवार को जारी शनिवार के 24 घंटे आँकड़ों के अनुसार 2 लाख 40 हज़ार 842 नये मामले आए और 3741 लोगों की मौत हुई।
सरकार भले ही यह दावा करे कि टीके की कोई कमी नहीं है और दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सही ढंग से चल रहा है, आईएमएफ़ ने अनुमान लगाया है कि इस साल के अंत तक भारत के एक तिहाई लोगों को ही टीका लगाया जा सकेगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिस आदेश में यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था 'राम भरोसे' टिप्पणी की थी उस पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि चार महीने में यूपी के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएँ सुधरनी चाहिए।
अब घर पर ख़ुद से ही जाँच सकते हैं कि आपको कोरोना है या नहीं। भारत में पहली बार कोरोना की घर पर ही जाँच करने वाली टेस्ट किट कोविसेल्फ तैयार की गई है। इसको इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने मंजूरी दे दी है।
केंद्र सरकार ने राज्यों से क्यों कहा है कि ब्लैक फंगस के मामलों को महामारी क़ानून के तहत अधिसूचित करें? देश भर में 5500 से ज़्यादा ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं और 126 लोगों की मौतें हो चुकी हैं।
नोटबंदी में पंक्तिबद्ध लोगों की मौतें से लेकर पिछले साल कोरोना के समय अविवेकपूर्ण लॉकडाउन में सैकड़ों मज़दूरों की मौत, कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन, दवाइयों आदि के अभाव में हजारों लोगों की जान चली गई।
ऐसे समय जब कई सरकारें कोरोना से होने वाली मौतों को छुपाने की कोशिशें कर रही हैं, मृत्यु प्रमाण पत्र उनकी पोल खोल रहा है। दिल्ली में अप्रैल 2021 में इसी महीने के पिछले साल की तुलना में लगभग ढ़ाई गुणा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया।