दुनिया भर में जहाँ विशेषज्ञ अब बच्चों के कोरोना संक्रमण के शिकार होने की आशंका जता रहे हैं वहीं दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि ऐसा कोई आँकड़ा नहीं है कि बच्चे अगले किसी लहर में गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
कोरोना वायरस का एक और नया स्ट्रेन गंभीर चिंता पैदा करने वाला हो सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी यानी एनआईवी पुणे ने ब्रिटेन और ब्राज़ील से भारत आने वाले यात्रियों के सैंपल में जीनोम सिक्वेंसिंग के ज़रिए एक नये स्ट्रेन का पता लगाया है।
कोरोना संक्रमण के मामले दो महीने में सबसे कम आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को 24 घंटे में 86 हज़ार 498 मामले दर्ज किए गए। 66 दिनों में यह सबसे कम है।
वैक्सीन खरीद का ज़िम्मा राज्यों पर डालने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार अब खरीद का ज़िम्मा उठाने पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार सरकारी अधिकारी ने ऐसे संकेत दिए हैं।
दिल्ली सरकार ने एलान किया है कि हर घर जाकर सर्वेक्षण किया जाएगा और उसके बाद पोलिंग बूथ पर 45 साल से ऊपर के लोगों को कोरोना टीका दिया जाएगा, टीकाकरण का काम हर हाल में चार सप्ताह में पूरा कर लिया जाएगा।
भारत बायोटेक का कोवैक्सीन टीका बच्चों के लिए सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं, इसके लिए एम्स पटना में 12-18 साल के बच्चों पर ट्रायल शुरू हो चुका है। इसके लिए एम्स दिल्ली में आज बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी।
श्मशान खाली हैं और कब्रों की खुदाई करनेवालों के हाथों को कुछ आराम है। हस्पतालों में भी बिस्तर अब मिल जाएँगे। तो क्या हम इसे प्राकृतिक चक्र मानकर बैठ जाएँ? कितने लोग इस बीच गुज़र गए, उनके बारे में सोचने की जहमत कौन ले?
देश में वैक्सीन की कमी के बीच सुप्रीम कोर्ट से लेकर आम लोगों द्वारा वैक्सीन नीति पर आलोचनाओं पर केंद्र सरकार ने सफ़ाई दी है। इसने असमानता की ओर इशारा करने वाली मीडिया रिपोर्टों को 'ग़लत और अटकल लगाने वाली' क़रार दिया।
दुनिया के अलग-अलग देशों में बैठे अनजान लोगों ने इंटरनेट के महासागर को मथ कर जो साक्ष्य जुटाए हैं उनसे इस आशंका को बल मिला है कि चीन स्थित वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी से कोरोना वायरस निकला है।
दुनिया भर में मशहूर और ब्रिटेन से छपने वाली स्वास्थ्य पत्रिका 'द लांसेट' ने शोध में पाया है कि कोरोना टीका की दो खुराकों के बीच का अंतर कम होना चाहिए। यह भारत सरकार के फ़ैसले के ठीक उलट है।
सरकार ने निजी क्षेत्र को देने के लिए जितने कोरोना टीके सुरक्षित रखे, उसमें से आधा टीके सिर्फ 9 कॉरपोरेट अस्पतालों ने ले लिए, जिनके अस्पताल बड़े शहरों में हैं।
देश में एक दिन में कोरोना के 1 लाख 32 हज़ार 364 पॉजिटिव केस सामने आए हैं और 2713 लोगों की मौत हुई है। इससे एक दिन पहले 1 लाख 34 हज़ार मामले आए थे और 2887 लोगों की मौत हुई थी।
सरकार ने कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के सिलसिले में हर फ़ैसला अपने राजनीतिक नफा-नुक़सान को ध्यान में रखकर और अपनी छवि चमकाने के मक़सद से किया है। इससे कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान भी बुरी तरह लड़खड़ा गया है।