तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े के बिना कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के विवाद के बीच छत्तीसगढ़ ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह कोवैक्सीन को रोक दे। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि राज्य कोरोना टीकाकरण अभियान में काफ़ी पीछे है।
विशेषज्ञ पैनल ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को एक जनवरी को आपात इस्तेमाल की मंजूरी लायक नहीं माना था, लेकिन इसने 2 जनवरी को मंजूरी दे दी। आख़िर इन 24 घंटों में ऐसा क्या हो गया कि कोवैक्सीवन को हरी झंडी मिल गई?
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के इस्तेमाल किए जाने की स्थिति में साइड इफ़ेक्ट यानी दुष्प्रभाव होने पर नुक़सान की भरपाई की जाएगी।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की मंजूरी पर विवाद और बढ़ गया है। जो सवाल कल मंजूरी दिए जाने के बाद उठाए जा रहे थे वही सवाल अब उस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल करने वालों के बयान के बाद भी उठ रहे हैं।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर उठ रहे हैं। सवाल तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े को लेकर है। शशि थरूर, जयराम रमेश और आनंद शर्मा ने ये सवाल उठाए हैं।
केंद्र सरकार के तहत काम करने वाले आईसीएमआर वैज्ञानिकों पर दबाव डाल रहा है कि आगामी 15 अगस्त तक कोरोना महामारी यानी कोविड 19 टीका बन जाना चाहिए। क्या वह ऐसा राजनीतिक दबाव में कर रहा है और इसके क्या नतीजे निकल सकते हैं बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार