भारत बायोटेक की जिस कोवैक्सीन को जनवरी में ही आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई थी उसके तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े अब आ गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल में 77.8 फ़ीसदी प्रभावी है।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफ़डीए से झटका लगा है। इसने अमेरिका में कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह बीएलए का रास्ता अपनाए।
भारत बायोटेक के जिस टीके कोवैक्सीन को जनवरी में ही आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई थी उसके तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े जुलाई में आएँगे। ऐसा भारत बायोटेक ने ही कहा है। यानी तीसरे चरण के अंतिम परिणाम जुलाई में प्रकाशित होंगे।
वैक्सीन की कमी के बीच दिल्ली सरकार ने कहा है कि फ़िलहाल कोवैक्सीन 18-44 उम्र के लोगों को पहली खुराक नहीं दी जाएगी। इसने कहा है कि जिन्होंने पहली खुराक ले ली है और दूसरी खुराक का समय पूरा हो गया है, उन्हें ही यह दी जाएगी।
भारत बायोटेक का कोवैक्सीन टीका बच्चों के लिए सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं, इसके लिए एम्स पटना में 12-18 साल के बच्चों पर ट्रायल शुरू हो चुका है। इसके लिए एम्स दिल्ली में आज बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आयात करने के प्रस्ताव को ब्राज़ील में हरी झंडी दे दी गई है, लेकिन कुछ शर्तें भी लगा दी हैं। यह अहम इसलिए है कि पहले ब्राज़ील ने कोवैक्सीन के आयात को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
यूरोप सहित कुछ देशों में जहाँ अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन मिक्स कर और लगाकर ट्रायल किया जा रहा है वहाँ उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले में 20 लोगों को मिक्स वैक्सीन लापरवाही में लगा दी गई।
आईसीएमआर ने कहा है कि कोवैक्सीन की खुराक से शरीर में उतनी एंटी-बॉडी नहीं बनती है जितनी कोविशील्ड की। कोवैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद पर्याप्त मात्रा में एंटी-बॉडी बनती है जिससे कि शरीर कोरोना वायरस से लड़ सके।
देश में कोरोना वैक्सीन की भारी कमी की शिकायतों के बीच केंद्र सरकार ने दावा किया है कि इस साल के आख़िर तक यानी दिसंबर महीने तक भारत में 200 करोड़ से ज़्यादा वैक्सीन उपलब्ध होगी।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई वैक्सीन को लेकर दुनिया भर में जो हो रहा है वह आगे चलकर भारत के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। यह सब भारत की वैक्सीन नीति से होगा।
भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन अब क्लिनिकल ट्रायल मोड में नहीं रही। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने गुरुवार को क्लिनिकल ट्रायल मोड का वह ठप्पा हटा दिया।
कोवैक्सीन को विशेषज्ञों के जिस पैनल ने 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी उसने अब कहा है कि इस 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' टैग को हटाया जा सकता है।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी देने के मामले में इसके तीसरे चरण के ट्रायल के जिन आँकड़ों को लेकर विवाद हुआ था वो अब आ गए हैं। भारत बायोटेक ने बुधवार दोपहर को ये आँकड़े जारी किए और कहा कि यह कोरोना को रोकने में 81 फ़ीसदी प्रभावी है।