लगभग एक साल से कोरोना महामारी से लड़ रहे भारत के लोगों के लिए वह दिन आ ही गया, जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार था। देश में आज यानी 16 जनवरी से टीकाकरण यानी कोरोना की वैक्सीन लगनी शुरू हो गयी।
कोरोना का टीकाकरण आज से शुरू हो गया है। टीकाकरण शुरू होने से पहले सरकार ने भी इसमें जुटे स्टाफ़ के लिए निर्देश जारी किए हैं। जानिए, किनको टीका लगाया जा सकता है और टीकाकरण में कब-क्या किया जाएगा-
भारत में जिन वैक्सीन को दुनिया में सबसे सस्ती वैक्सीनों में से एक बताया जा रहा है उनकी क़ीमतों पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और भारत बायोटेक की वैक्सीन की ज़्यादा क़ीमतें वसूली जा रही हैं।
सरकार से कोरोना वैक्सीन का क़रार होने के कुछ घंटे बाद ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने कोविशील्ड की पहली खेप रवाना कर दी है। मंगलवार सुबह क़रीब पाँच बजे वैक्सीन से भरे तीन ट्रक पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट के परिसर से निकले।
सरकार ने सोमवार कोरोना वैक्सीन के लिए पहला ऑर्डर दे दिया है। सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया से 1.10 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है। यानी इससे 55 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा सकती है।
Satya Hindi news Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। 16 जनवरी से देश में शुरू होगा कोरोना का टीकाकरण।क्या अमेरिकी संसद को बम से उड़ाना चाहते थे ट्रंप समर्थक?
भारत में टीकाकरण कब से होगा, इसका इंतजार ख़त्म हो गया है। केंद्र सरकार ने शनिवार को एलान किया है कि देश में 16 जनवरी से कोरोना का टीका लगना शुरू हो जाएगा।
ब्रिटेन के नये स्ट्रेन यानी नये क़िस्म के कोरोना के डर के बीच अब अगले कुछ दिनों में ही कोरोना वैक्सीन मिलने लगेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की।
कोरोना से जैसा युद्ध भारत करेगा, वैसा कोई और देश करने की स्थिति में नहीं है। 30 करोड़ लोगों को फ़िलहाल टीका लगाने की तैयारी है। इतने लोग तो बस दो-तीन देशों में ही हैं। धीरे-धीरे भारत में 140 करोड़ लोगों को भी कोरोना का टीका मिल सकेगा।
विशेषज्ञ पैनल ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को एक जनवरी को आपात इस्तेमाल की मंजूरी लायक नहीं माना था, लेकिन इसने 2 जनवरी को मंजूरी दे दी। आख़िर इन 24 घंटों में ऐसा क्या हो गया कि कोवैक्सीवन को हरी झंडी मिल गई?
दक्षिण अफ्रीका में जो नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है उसके बारे में वैज्ञानिकों को संदेह है कि मौजूदा वैक्सीन कारगर साबित नहीं होगी। ऐसे में क्या नये सिरे से वैक्सीन की ज़रूरत होगी?
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के इस्तेमाल किए जाने की स्थिति में साइड इफ़ेक्ट यानी दुष्प्रभाव होने पर नुक़सान की भरपाई की जाएगी।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की मंजूरी पर विवाद और बढ़ गया है। जो सवाल कल मंजूरी दिए जाने के बाद उठाए जा रहे थे वही सवाल अब उस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल करने वालों के बयान के बाद भी उठ रहे हैं।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर उठ रहे हैं। सवाल तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े को लेकर है। शशि थरूर, जयराम रमेश और आनंद शर्मा ने ये सवाल उठाए हैं।