अब कई तरह के दबावों के बीच ऐसा लग रहा है कि भारत से वैक्सीन निर्यात का सिलसिला फिर से शुरू हो सकता है। नीति आयोग में स्वास्थ्य मामलों को देख रहे वी के पॉल ने कहा कि कोविड वैक्सीन का निर्यात पूरी तरह से हमारे राडार पर है।
कोविशील्ड वैक्सीन की खुराकों के बीच के अंतराल बढ़ाने पर फिर विवाद हो गया है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बिना उनकी सहमति के ही सरकार ने कोविशील्ड की खुराकों के अंतराल को दोगुना कर दिया था। जानिए, सरकार ने किस आधार पर खारिज किया...
केंद्र सरकार की रिपोर्ट में पहली बार कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन से एक व्यक्ति की मौत हुई है। यह रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाली एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्युनाइज़ेशन यानी एईएफ़आई कमेटी द्वारा दी गई है।
आरटीआई से मिले दस्तावेजों से पता चला है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के भतीजे तन्मय फडणवीस ने वैक्सीन लेने के लिए अपने आप को स्वास्थ्यकर्मी बताकर कोरोना का टीका लिया था।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफ़डीए से झटका लगा है। इसने अमेरिका में कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह बीएलए का रास्ता अपनाए।
भारत बायोटेक के जिस टीके कोवैक्सीन को जनवरी में ही आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई थी उसके तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े जुलाई में आएँगे। ऐसा भारत बायोटेक ने ही कहा है। यानी तीसरे चरण के अंतिम परिणाम जुलाई में प्रकाशित होंगे।
दुनिया के जिस कोवैक्स कार्यक्रम के तहत 92 देशों को कोरोना वैक्सीन भेजी जा रही थी उस कोवैक्स कार्यक्रम को वैक्सीन मिल ही नहीं पा रही है। सीरम इंस्टीट्यूट से आख़िर वैक्सीन क्यों नहीं मिल पा रही है?
आख़िर वैक्सीन उत्पादन का महाबली कोरोना से लड़ाई के दंगल में क्यों फिसड्डी साबित हुआ? मोदी सरकार ने कम से कम 10 ऐसी गंभीर भूलें की हैं जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा है।
वैक्सीन की कमी के बीच दिल्ली सरकार ने कहा है कि फ़िलहाल कोवैक्सीन 18-44 उम्र के लोगों को पहली खुराक नहीं दी जाएगी। इसने कहा है कि जिन्होंने पहली खुराक ले ली है और दूसरी खुराक का समय पूरा हो गया है, उन्हें ही यह दी जाएगी।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आयात करने के प्रस्ताव को ब्राज़ील में हरी झंडी दे दी गई है, लेकिन कुछ शर्तें भी लगा दी हैं। यह अहम इसलिए है कि पहले ब्राज़ील ने कोवैक्सीन के आयात को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
केंद्र सरकार ने बायोलॉजिकल-ई की कोरोना वैक्सीन के लिए लिए क़रार किया है और 30 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है। देश में ही विकसित बायोलॉजिकल-ई की कोरोना वैक्सीन का फ़िलहाल ट्रायल चल रहा है।
ब्रिटेन में एक शोध में यह सामने आया है कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी- एस्ट्राज़ेनेका और फाइज़र की वैक्सीन की दो खुराक भारत में मिले कोरोना वैरिएंट बी1.617.2 पर 80 फ़ीसदी से ज़्यादा कारगर है।
कोरोना से संक्रमित मरीज़ों को ठीक होने के बाद अब तक दो हफ़्ते में वैक्सीन लगाई जा रही है, लेकिन सरकार के विशेषज्ञों के पैनल ने इसे अब 3-9 महीने में लगाए जाने की सिफ़ारिश की है।
यूरोपीय देशों के बाद अब भारत में भी कुछ ऐसे मामले आए हैं जिसमें कोरोना टीके लगाने के बाद ब्लड क्लॉटिंग यानी ख़ून के थक्के जमने की शिकायतें हैं। यह बात सरकारी पैनल ने ही कही है।