लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही महानगरों से गाँवों की ओर लोगों का पलायन लगातार जारी है। पलायन के दृश्यों को देखकर 1947 के भारत के विभाजन का समय याद आता है।
कोरोना वायरस के बाद लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रही तेलंगाना सरकार ने कर्मचारियों, अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों की सैलरी में बड़ी कटौती की घोषणा की गई है।
दिल्ली के निज़ामुद्दीन क्षेत्र में क़रीब 200 लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण दिखे हैं। ये लोग 18 मार्च को एक धार्मिक कार्यक्रम में शरीक हुए थे और इसमें अलग-अलग राज्यों से क़रीब 500 लोग आये थे। इसी तरह मेरठ में 19 विदेशी नागरिक बिना पुलिस को बताये धार्मिक स्थलों में रुके हुये थे। ध्यान रखें कि न तो भीड़ में जायें और कहीं भीड़ होने पर सीधे पुलिस को सूचित करें। कोरोना के ख़िलाफ़ इस जंग में हम सभी को मिलकर लड़ना है।
जिस कोरोना से लड़ने के लिए लॉकडाउन किया गया है अब उसी लॉकडाउन के कारण कोरोना से बचाव के लिए उपयोग में आने वाले उपकरणों की आपूर्ति में बाधा आती दिख रही है।
सूरत में कपड़ा फ़ैक्ट्री के मज़दूरों को अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों के लिए पलायन करने से रोकने पर हिंसा हो गई। यह घटना रविवार शाम की है।
लाॅकडाउन का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस कई जगहों पर बर्बर होती दिखी है। मध्य प्रदेश में ऐसे ही एक मामले में महिला सब इंस्पेक्टर ने मजदूर के माथे पर ‘मुझसे दूर रहना’ लिख दिया।
कोरोना फैलने से रोकने का यह कौन-सा तरीक़ा है कि महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सभी को केमिकल से नहला दिया जाए! उत्तर प्रदेश के बरेली में क्या मानवता को यह शर्मासार करने वाली तसवीर नहीं है?
क्या हो जब आपके परिवार का कोई सदस्य इस लॉकडाउन में सैकड़ों किलोमीटर दूर फँसा हो और फ़ोन पर सिर्फ़ इतना ही कह सके कि 'लेने आ सकते हो तो आ जाओ'! फिर उसकी आवाज़ तक न निकले।