लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाने की ख़बर आने के बाद अब सरकार ने शुक्रवार को कहा है कि यह अब आप्रवासी मज़दूरों, छात्रों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपने राज्यों में घर लौटने के लिए विशेष ट्रेनें चलाएगी।
कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार 4 मई से राज्य के अंदर आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की तैयारी में है और केंद्र के दिशा-निर्देश का इंतजार कर रही है।
लॉकडाउन के बाद पहली बार कोई ट्रेन चली। तेलंगाना में फँसे आप्रवासियों को उनको अपने गृह राज्य पहुँचाने के लिए। यह ट्रेन झारखंड के हटिया स्टेशन तक के लिए है। यह सिर्फ़ एक ट्रेन है जिसको रेलवे ने एक बार चलाने की विशेष अनुमति दी है।
लॉकडाउन से तकलीफ़ें तो बढ़ी हैं, लेकिन कुछ फ़ायदा भी हुआ है। अपराध कम हो गए हैं, सड़क हादसों और इसमें घायल व मरने वालों की संख्या में कमी आई है, आत्महत्याएँ कम हुई हैं और थानों में रिपोर्ट दर्ज होने के मामलों में भी कमी आई है।
बचपन में जब मैं पढ़ता सुनता था कि ह्नेनसांग नामक चीनी यात्री सैकड़ों बरस पहले चीन से भारत पैदल चलकर आया और वापस गया था तो सोचता रह जाता था कि यह कैसे संभव हुआ होगा। आज तीन युवा मज़दूरों से बात की। गुजरात से अयोध्या पैदल सत्रह दिन में, उन्हीं को उन्हीं से सुनिये।
कोरोना महामारी के ख़िलाफ़ इस जंग में देश को सरकारी अस्पतालों का ही सहारा है क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों का जैसा सहयोग इस वक्त मिलना चाहिए था, वह सिरे से नदारद है।