केंद्र सरकार ने जैसे ही लॉकडाउन 3.0 में शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी, सोमवार सुबह ही देश में कई जगहों पर शराब की दुकानों के बाहर लंबी-लंबी लाइन लग गईं।
प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के मुद्दे पर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों का उनके राज्यों में आने का ट्रेन ख़र्च कांग्रेस उठाएगी।
क्या दिल्ली, क्या यूपी और क्या बाक़ी राज्य सरकारें, सभी को कोरोना के कारण आए आर्थिक संकट से निकलने का रास्ता सिर्फ शराब के जरिये होने वाली कमाई से ही दिख रहा है।
सरकार मज़दूरों के मामले में लापरवाही के कीर्तिमान रच रही है। रेलवे उनसे किराया माँग रहा है और पुलिस उन पर लाठियाँ चमका रही है। वे अपने पैसों से चंदा करके परमिट लेकर भी घरों तक लौट नहीं पा रहे हैं और न ही सरकार उनके खाने पीने की सुध ले रही है। सर्वत्र फैले इस हाहाकार की मीमांसा कर रहे हैं शीतल पी सिंह।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली से लॉकडाउन हटाने का संकेत दिया है। उन्होंने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली लॉकडाउन हटाने को तैयार है।
मध्य प्रदेश के दाहोद से सटी गुजरात की सीमा पर परमिट लेकर बसों से लौट रहे यूपी के मज़दूरों पर लाठीचार्ज हुआ है। मज़दूरों को कल रात ग्यारह बजे से ही बॉर्डर पर रोक दिया गया था। ग़ौरतलब है कि कल ही गृह मंत्रालय ने बसों से लौटने वालों के लिए राज्यों की सीमाएँ खोलने का एलान किया है! मज़दूरों से बात की शीतल पी सिंह ने।
राज्यों की सीमाओं पर अभी ‘कच्ची’ दीवारें उठ रही हैं, प्रदेशों को जोड़ने वाली सड़कों पर अभी ‘अस्थायी’ गड्ढे खोदे जा रहे हैं। सब कुछ कोरोना से बचाव के नाम पर हो रहा है। कोई न तो सवाल कर रहा है और न कोई जवाब दे रहा है।
लॉकडाउन तो ज़रूरी था। लेकिन अब यह सवाल है कि जिस बीमारी को रोकने के लिए देशबंदी की गई, कहीं ये इलाज उससे ज़्यादा ख़तरनाक तो नहीं बन जाएगा? मैनेजमेंट गुरु, दर्शनशास्त्री और लेखक गुरचरण दास से ख़ास बातचीत।
दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की तादाद 34,01,190 हो गयी है जबकि 2,39,604 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। 10,81,639 संक्रमित लोग अब तक ठीक हो चुके हैं।