कोरोना संक्रमण के मामलों का आंकड़ा एक बार फिर साढ़े तीन लाख के आसपास रहा और बीते 24 घंटों में संक्रमण के 3,43,144 मामले दर्ज किए गए और 4,000 लोगों की मौत हुई है।
अनुपम खेर ने मोदी की वापसी को लेकर पिछले दिनों क्या कह दिया था, हाल में जो कुछ कहा है उसका ‘सारांश’ यह है कि : “कोरोना संकट में सरकार ‘फ़िसल’ गई है और उसे ज़िम्मेदार ठहराना महत्वपूर्ण है...'
कोरोना की तीसरी लहर में वायरस उन्हें निशाना बनाएगा जो अब तक सुरक्षित रह गए हैं। यानी बच्चे। यदि बच्चे संक्रमित हुए तो क्या हालात होंगे, क्या इसका अंदाज़ा है? इससे निपटने की तैयारी कैसी है?
गाँवों-क़स्बों में अस्पताल तो है नहीं, दूर-दराज के छोटे शहरों में कुछ छोटे अस्पताल हैं भी तो यह पता नहीं होता कि किस अस्पताल में क्या सुविधा है, कितने बेड खाली हैं?
किसे बचाएँ और किसे मरने के लिए छोड़ दें? कोरोना संकट ने अस्पतालों में डॉक्टरों के सामने ये हालात पैदा कर दिए हैं। ये हालात कई जगहों पर हैं। मरीज़ों के लिए आईसीयू बेड, वेंटिलेटर कम पड़ने पर ऐसी स्थिति आन पड़ती है।
देश में आज लगातार चौथे दिन कोरोना संक्रमण के 4 लाख से ज़्यादा पॉजिटिव केस आए हैं और लगातार दूसरे दिन 4 हज़ार से ज़्यादा कोरोना मरीज़ों की मौत हुई। अब तक कुल पाँच बार 4 लाख से ज़्यादा केस आ चुके हैं।
मेडिकल जर्नल लांसेट ने कोरोना से निपटने के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों को लेकर आलोचनात्मक संपादकीय छापा है। पत्रिका ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार कोरोना महामारी से निपटने से ज़्यादा आलोचनाओं को दबाने में लगी हुई दिखी।
देश में पहली बार एक दिन में 4 हज़ार से ज़्यादा कोरोना मरीज़ों की मौतें हुई हैं। 24 घंटे में रिकॉर्ड 4187 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही आज लगातार तीसरे दिन कोरोना के 4 लाख से ज़्यादा पॉजिटिव केस आए हैं।
कोरोना ने विकराल रूप धारण कर लिया है। प्रतिदिन साढ़े तीन-चार लाख के दायरे में संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। उसी अनुपात में मौतें भी हो रही हैं। बार-बार यह सवाल ज़हन में उठता है कि आख़िर चूक कहाँ हुई।