ओमिक्रॉन के ख़तरे के बीच तीसरी लहर के जोर पकड़ने की आशंका है तो क्या ऐसे में चुनाव कराना ज़रूरी है? क्या कोरोना की दूसरी लहर से सीख ली गई है? जानिए, दूसरे देशों में कैसे फ़ैसले लिए गए।
अब जब ओमिक्रॉन का ख़तरा सिर पर है तो क्या सरकार और दूसरी एजेंसियाँ डेल्टा वैरिएंट और कोरोना की दूसरी लहर से सबक़ सिखेंगी? क्या सावधानी बरती जाएगी, क्या चुनावी रैलियों को नियंत्रित किया जाएगा?
कोरोना की दूसरी लहर की तबाही के लिए क्या राजनीतिक एजेंडा ज़िम्मेदार है? न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार आईसीएमआर के लिए शोध करने वालों ने इस पर बड़ा खुलासा किया है।
बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। सरकारी आंकड़ा ही कहता है कि मार्च से अगस्त के बीच मामले बढ़े हैं। क्यों बढ़ रहे हैं मामले और कितना ख़तरा है इससे?
देश में कोरोना संक्रमण की जिस तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी वह इसी महीने आ सकती है। अक्टूबर में इसके शिखर पर होने की संभावना है। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
विशेषज्ञ तो अब तक कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताते ही रहे हैं, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंतित हैं। मोदी ने कहा है कि बाज़ारों और पर्यटन स्थलों पर बिना मास्क लगाई हुई भीड़ की तसवीरें चिंता का कारण हैं।
कोरोना वायरस दुनिया भर में फिर से तेज़ी से फैल रहा है। ब्रिटेन में चौथी लहर आ गई है। रूस में तीसरी लहर है और वहाँ शनिवार को 752 मौतें हुईं जो देश में अब तक सबसे ज़्यादा है। इंडोनेशिया में दूसरी लहर तबाही लेकर आई है। भारत सबक़ लेगा?
कोरोना संक्रमण पर हर रोज दिल्ली में होने वाली मीडिया ब्रीफिंग में कुछ राज्यों में बढ़ते संक्रमण का ज़िक्र विशेष रूप से किया जाता है जबकि कई राज्यों और बहुत सारे तथ्यों से आँखें मूंद ली जाती हैं।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच देश के छह राज्यों में कोरोना के केस बढ़ने पर केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की टीमें भेजी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उन टीमों में अलग-अलग मामलों से जुड़े अलग-अलग विशेषज्ञ शामिल हैं।
तीन राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आए हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि इसी नये वैरिएंट के 22 मामले महाराष्ट्र सहित तीन राज्यों में मिले हैं। इससे अब तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है।
कोरोना के जिस डेल्टा वैरिएंट को देश में दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार समझा जाता है उसका अब एक नया म्यूटेंट यानी नया रूप पाया गया है। नये वैरिएंट पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल दवा भी निष्प्रभावी साबित हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका द इकॉनमिस्ट ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कोरोना से मौत का वास्तविक आँकड़ा 5-7 गुना ज़्यादा होगा। सरकार ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया।
कोरोना वायरस का एक और नया स्ट्रेन गंभीर चिंता पैदा करने वाला हो सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी यानी एनआईवी पुणे ने ब्रिटेन और ब्राज़ील से भारत आने वाले यात्रियों के सैंपल में जीनोम सिक्वेंसिंग के ज़रिए एक नये स्ट्रेन का पता लगाया है।