भारत में एक बार फिर से चीन के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने का सिलसिला चल पड़ा है। हमले के केंद्र में कोरोना वायरस है, मगर गुस्से की वज़हें वही पुरानी। दरअसल, चीन के इस ताज़ा विरोध की जड़ें अमेरिका में हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने कोरोना को चीनी वायरस कहना शुरू कय दिया था। इस पर अमरीका में ही तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। कहा गया था कि वे नस्लवादी राजनीति कर रहे हैं, जो कि काफ़ी हद तक सही भी था। ट्रम्प गैरे नस्लवाद की राजनीति करते रहे हैं और अमरीकियों में अंध राष्ट्रवाद भड़काने के लिए चीन को निशाना बनाया था। ट्रेड वार इसी का नतीजा था। भारत में भी इस तरह की राजनीति होती रही है, हालांकि इसके कुछ ऐतिहासिक कारण भी हैं जिनमें से 1962 के युद्ध में शर्मनाक पराजय शामिल है।