हिमाचल प्रदेश में जहाँ 73.3 फ़ीसदी से भी ज़्यादा वैक्सीन के योग्य आबादी को कम से कम एक टीका लगाया गया है जबकि उत्तर प्रदेश 29.5 फ़ीसदी आबादी को ही टीके लगाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
कोरोना टीकाकरण धीमा पड़ गया है। एक दिन पहले ही मंगलवार को दिल्ली सरकार ने कहा था कि कोविशील्ड के टीके ख़त्म होने के कारण उसे टीकाकरण केंद्र बंद करना पड़ा है। टीकाकरण के मामले में भी उत्तर प्रदेश और बिहार ऐसे राज्य हैं जो सबसे पिछड़े हैं।
कोरोना वायरस की मारक दूसरी लहर झेलने के बाद आज भारत के लोग तीसरी लहर की उल्टी गिनती कर रहे हैं। ये तीसरी लहर कब और कितनी बड़ी आएगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम वायरस-वैक्सीन-व्यवस्था के त्रिकोण को कितने अच्छे से समझ पाते हैं।
क्या कोरोना वैक्सीन लेने से आप भी झिझक रहे हैं? क्या आपके मन में यह सवाल है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना संक्रमण हो सकता है तो वैक्सीन लेकर भी क्या फायदा? क्या बुखार और कमजोरी का डर है? दूर करें अपने सारे सवालों को।
केंद्र सरकार ने एक महीने पहले अगस्त से दिसंबर तक 216 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा किया था लेकिन अब इसका कहना है कि वह 135 करोड़ वैक्सीन ही उपलब्ध करा पाएगी।
कोलकाता में फर्जी टीकाकरण केंद्र आयोजित करने और ख़ुद को फ़ेक आईएएस बताने के आरोप में गिरफ़्तार किए गए देबंजन देब की अब तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के साथ की तसवीरें वायरल हुई हैं।
अभिनेत्री से टीएमसी सांसद बनीं मिमी चक्रवर्ती कथित तौर पर एक फ़ेक टीकाकरण केंद्र के झांसे में आ गईं। इस केंद्र पर सैकड़ों लोगों को टीके लगा दिए गए। मिमी चक्रवर्ती ने संदेह होने पर शिकायत दर्ज कराई तो व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया।
अब से पहले जहाँ हर रोज़ क़रीब 30 लाख वैक्सीन की खुराक लगती रही थी वहीं सोमवार को यानी वैक्सीन की नई नीति लागू होने के पहले दिन रिकॉर्ड 80 लाख से ज़्यादा खुराक लगाई गई।
देश में टीकाकरण नीति पर सुप्रीम कोर्ट तक से आलोचनाओं का सामना कर चुकी मोदी सरकार को अब विशेषज्ञों ने बेहद अहम एक रिपोर्ट दी है। इसमें कहा गया है कि अनियोजित टीकाकरण से कोरोना के म्यूटेंट यानी इसके कोरोना के स्ट्रेन को बढ़ावा मिल सकता है।
देश में वैक्सीन की कमी के बीच सुप्रीम कोर्ट से लेकर आम लोगों द्वारा वैक्सीन नीति पर आलोचनाओं पर केंद्र सरकार ने सफ़ाई दी है। इसने असमानता की ओर इशारा करने वाली मीडिया रिपोर्टों को 'ग़लत और अटकल लगाने वाली' क़रार दिया।
सरकार ने कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के सिलसिले में हर फ़ैसला अपने राजनीतिक नफा-नुक़सान को ध्यान में रखकर और अपनी छवि चमकाने के मक़सद से किया है। इससे कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान भी बुरी तरह लड़खड़ा गया है।
भारत की वैक्सीन नीति को लेकर कहा जा रहा है कि इसने दुनिया के कई देशों के सामने एक संकट खड़ा कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि देश से वैक्सीन के निर्यात पर पाबंदी से उन 91 देश बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।