मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को लेकर कोरोना की दूसरी लहर में एक समय भले ही देश भर में हाहाकार मच गया था, मौत की ख़बरें आ रही थीं, लेकिन केंद्र सरकार ने कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई भी मौत नहीं हुई है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि कोरोना के कारण स्वासथ्य में कोई गड़बड़ी होती है और उससे रोगी की मौत हो जाती है, उस मामले में भी कोरोना को ही मौत का कारण माना जाएगा और इसे मृत्यु प्रमाण पत्र पर लिखना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया कोरोना से मरने वालों के परिवार को मुआवजा देने का आदेश लेकिन सरकार को किस बात का डर? क्या सरकार को डर है कि आँकड़े सामने आ जाएंगे? वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का विश्लेषण-
कोरोना वायरस से मारे गए लोगों को मुआवजा देने से इनकार कर चुकी केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। इसने मुआवजा देने के नियम और राशि छह हफ़्ते में तय करे। क्या इससे कोविड मौत का सच सामने आने का डर है?
अगर सिर्फ बची हुई रकम का इस्तेमाल मोदी सरकार कर लेती है तो मुआवजे की जरूरत वाली रकम तकरीबन पूरी हो जाती है। जो रकम खर्च नहीं कर पा रही हो, उसका सदुपयोग अगर मुआवजे में होता है तो इसमें संकोच क्यों?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह कोरोना से मारे गए सभी लोगों को 4 लाख रुपये मुआवजा नहीं दे सकती है क्योंकि इससे पूरी आपात राहत निधि खाली हो जाएगी। सरकार ने शनिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर यह बात कही है।
कई राज्यों में कोरोना से मरने वालों को कम गिने जाने के आरोपों के बीच अब बिहार में मौत का एक चौंकाने वाला आँकड़ा सामने आया है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान क़रीब 75 हज़ार लोगों की मौतें कैसे हुईं, इसका कोई अंदाज़ा नहीं है।
झारखंड में अप्रैल-मई में मरने वाले लोगों की तादाद पिछले साल की अवधि में हुई मौतों से लगभग डेढ़ गुणे ज़्यादा है। और यह सरकार के आँकड़ों से ही साबित होता है।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका द इकॉनमिस्ट ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कोरोना से मौत का वास्तविक आँकड़ा 5-7 गुना ज़्यादा होगा। सरकार ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया।
देश भर में सरकारों पर कोरोना से मौत के मामलों को छुपाने के आरोप क्यों लग रहे हैं? यह बिहार से साफ़ हो जाएगा। कोरोना से पहले जहाँ क़रीब 5500 लोगों की मौत हुई थी वह बुधवार को एकाएक 9429 हो गई है। यानी क़रीब 72 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
क्या दिल्ली सरकार कोरोना से होने वाली मौतों को जानबूझ कर छिपा रही है? यह सवाल इसलिए उठता है कि दिल्ली के तीनों म्युनिसपल कॉरपोरेशनों से जारी मृत्यु प्रमाण पत्रों और दिल्ली सरकार के कोरोना मौत के आँकड़ो में भारी अंतर है।
गंगा नदी में सैकड़ों शव मिलते रहने की ख़बरों के बीच अब राप्ती नदी में एक शव को फेंके जाने का दिल दहलाने वाला वीडियो सामने आया है। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने के बाद बलरामपुर के स्वास्थय विभाग ने इस मामले की पुष्टि की है।