मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने इसकी समीक्षा करनी शुरु कर दी है। इस हार के बाद कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में पार्टी संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है।
क्या कांग्रेस पार्टी गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रही है। लगता तो यही है। क्योंकि उसने जनता से पैसे मांगने का फैसला किया है। इसके लिए 18 दिसंबर से देश के दान या डोनेट फॉर देस अभियान शुरू किया जा रहा है। पार्टी ने शनिवार को यह घोषणा की।
राजनीति में क्या मुसलमानों के लिए अब जगह कम होती जा रही है? आज की भाजपा और सरकार अटल-आडवाणी वाले दौर से भी आगे निकल गई। तो बाक़ी दलों में क्या स्थिति है?
क्या काँग्रेस नरम हिंदुत्व से उग्र हिंदुत्व की काट कर पा रही है? कमलनाथ, भूपेश बघेल और अशोक गहलौत की कोशिशें क्या बताती हैं? कहीं उसकी नरम हिंदुत्व की नीति हिंदुत्व को और भी खाद-पानी नहीं दे रही है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- श्रवण गर्ग, डॉ. रविकांत, पूर्णिमा त्रिपाठी, विवेक देशपांडे-
कांग्रेस तीन राज्यों के चुनाव में अपनी हार की समीक्षा कर रही है। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और सत्य हिन्दी के संपादक आशुतोष का विश्लेषण है कि कांग्रेस को अभी हताश होने की जरूरत नहीं है। इन तीन राज्यों में उसे कम से कम 40 फीसदी वोट तो मिले ही हैं। कांग्रेस को सिर्फ इंडिया गठबंधन के दलों को साथ लेकर विपक्ष की बड़ी भूमिका के लिए खुद को तैयार करना होगा। पढ़िएः
इंडिया गठबंधन में शक के बादल धीरे-धीरे छंटने लगे हैं। विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीश कुमार ने एक बयान देकर सारे संदेह को दूर कर दिया है। नीतीश कुमार को बुखार था, इसलिए उन्होंने बैठक के लिए मना किया था लेकिन उस बात का अफसाना बन गया। जानिए पूरी कहानी।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस को चुनाव जीतने की सभी अनुकूल परिस्थितियां थी। चुनाव की घोषणा से पहले लग रहा था कि कांग्रेस राज्य में काफी मजबूत है लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की गलतियों के कारण यहां कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है।
जिस तेजी से विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने आकार लिया था किया उसी तेजी से इसमें अब दिक्कतें आने लगी हैं? आख़िर एक के बाद एक नेता इंडिया की बैठक से किनारे क्यों हो रहे हैं?
इस बैठक में लोकसभा चुनाव, शीतकालीन सत्र में सदन में पार्टी की रणनीति, सदन में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें सहमति बनी की पार्टी तीन राज्यों में हुई अपनी हार की समीक्षा और विश्लेषण करेगी।
चार राज्यों में चुनावी नतीजों के बाद राहुल गाँधी ने यह ज़रूर कहा है कि विचारधारात्मक संघर्ष जारी रहेगा लेकिन क्या कॉंग्रेस पार्टी इसका पूरा मतलब समझती है और उसमें यक़ीन करती है?
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की शानदार जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार की शाम दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया है।