23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से कांग्रेस आलाकमान को लिखा पत्र लीक होने के बाद कांग्रेस के भीतर घमासान मचा हुआ है। ऐसे हालात में पार्टी कैसे बीजेपी का मुक़ाबला करेगी।
क्या राहुल गाँधी हैं ‘कन्फ्यूज्ड’ लीडर! कांग्रेस के लिए गाँधी परिवार के क्या हैं मायने? देखिए वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की लेखक और विचारक पुरुषोत्तम अग्रवाल के साथ विशेष चर्चा।Satya Hindi
हाल के घटनाक्रम ने एक बार फिर दिखा दिया है कि कांग्रेस में आतंरिक लोकतंत्र नहीं है। यदि पार्टी को जीवित रहना है तो उसे आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करना ही होगा। बता रहें हैं पत्रकार अनिल जैन।
पांच सदस्यों वाली इस कमेटी में उन 23 नेताओं में से एक को भी जगह नहीं दी गई है जिन्होंने पार्टी नेतृत्व में बदलाव और कार्यशैला में सुधार की मांग करते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी।
जिन लोगों ने पार्टी अध्यक्ष पद के मुद्दे पर कोई एक फ़ैसला लेने की मांग करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, वे बिल्कुल अलग-थलग पड़ चुके हैं।
कांग्रेस की कार्यसमिति ने आज तय कर लिया कि सोनिया गाँधी फ़िलहाल अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी और अगले छह महीनों में नया अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। मगर कार्यसमिति के काम करने के तौर-तरीक़ों ने और ख़ास तौर पर राहुल गाँधी के अंदाज़ ने कुछ नए सवाल खड़े किए हैं। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
क्या कांग्रेस में गाँधी परिवार के ख़िलाफ़ बग़ावत है या फिर राहुल को अध्यक्ष बनाने का ड्रामा! एक चर्चा। आशुतोष के साथ क़मर वहीद नक़वी, आलोक जोशी, विजय त्रिवेदी, विनोद अग्निहोत्री और अशोक वानखेड़े।
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी या फिर प्रियंका गाँधी के अध्यक्ष होने में भी किसी दूसरे को क्या परेशानी हो सकती है। लेकिन कांग्रेस को क्या दिक्कत है कि वह इसके बाहर के नेता पर विचार नहीं कर रही है?