इस बात की आशंका काफी दिनों से जताई जा रही थी कि कांग्रेस अपने पुराने नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर सकती है और शुक्रवार को यह आशंका सच हो गई।
मंगलवार को होने वाली कांग्रेस संसदीय रणनीतिक बैठक बेहद अहम होगी। इसमें यह साफ़ हो जाएगा कि कांग्रेस नेतृत्व संकट पर उठे सवाल को कैसे ठीक करती है और पार्टी के कथित असंतुष्टों से कैसे निपटती है।
कांग्रेस नेता चिट्ठी सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिखने को लेकर चल रहे विवाद के बीच ही पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 2 साल बाद होने वाले चुनाव के लिए 7 पैनल बनाए हैं। इसमें जितिन प्रसाद और राज बब्बर जैसे कई बड़े नाम शामिल नहीं किए गए हैं।
क्या राहुल गांधी का "सूट बूट की सरकार" वाला नारा कांग्रेस में उपजे मौजूदा विवाद की सबसे बड़ी जड़ है? क्या इसे लेकर देश के कुछ कॉरपोरेट घराने "गांधी परिवार" से नाराज हैं?
कांग्रेस संगठन में बदलाव, चुनाव की माँग और कई अन्य परिवर्तनों पर 23 वरिष्ठ नेताओं को अपेक्षा के अनुरूप उत्तर प्रदेश में समर्थन नहीं मिला। ग़ुलाम नबी आज़ाद को पार्टी से निकालने की माँग क्यों की जा रही है?
23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से कांग्रेस आलाकमान को लिखा पत्र लीक होने के बाद कांग्रेस के भीतर घमासान मचा हुआ है। ऐसे हालात में पार्टी कैसे बीजेपी का मुक़ाबला करेगी।
कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को लिखा पत्र लीक हो जाने के बाद चल रहा बवाल सीनियर नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के ताज़ा बयानों के बाद और बढ़ सकता है।
पांच सदस्यों वाली इस कमेटी में उन 23 नेताओं में से एक को भी जगह नहीं दी गई है जिन्होंने पार्टी नेतृत्व में बदलाव और कार्यशैला में सुधार की मांग करते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी।
जिन लोगों ने पार्टी अध्यक्ष पद के मुद्दे पर कोई एक फ़ैसला लेने की मांग करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, वे बिल्कुल अलग-थलग पड़ चुके हैं।