सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अजीब सा वाकिया देखने को मिला, शुरुआत हुई एक बैंच द्वारा मामला दूसरी बैंच में भेजे जाने को लेकर जिसपर दूसरी बैंच ने खुले तौर पर अपनी नाखुशी जताई।
सुप्रीम कोर्ट में
नियुक्ति के लिए इन पांच जजों के नाम 13 दिसंबर से सरकार के पास लंबित थे। इसके अलावा कॉलेजियम
ने दो और बचे नामों की सिफारिश भी फिछले हफ्ते कर दी है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। विदेश मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिक्रिया देत हुए इसे 'प्रोपेगैंडा फिल्म' कहा था, जिसमें निष्पक्षता की कमी है और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाती है।
दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड
जज आर एस सोढ़ी का यह इंटरव्यू ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार और न्यायपालिका को
लेकर जजों की नियुक्ति के लिए बने कोलोजियम पर खींचतान चल रही है।
शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय की लाब्रेरी में मिली किताब के ‘हिंदूफोबिक’ होने पर दर्ज कराई
गई एफआईआर में लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने की
मध्य प्रदेश सरकार पर मंशा पर आश्चर्य व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमना ने पुलिस अफ़सरों को चेतावनी देते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल के साथ साँठगाँठ करने से बाद में उन्हें ही नुक़सान उठाना होगा।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमना ने रविवार को नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के एक कार्यक्रम में कहा कि पुलिस हिरासत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की सबसे ज़्यादा आशंका है।