नागरिकता क़ानून भले ही 2019 में आया हो और इसे धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया जा रहा हो, लेकिन इसकी शुरुआत 2014 में ही हो गई थी। ऐसी एक रिपोर्ट आई है। सरकार ने कैसे लगानी शुरू की थीं बंदिशें? क्या किए थे बदलाव और अब क्या होगा? देखिए शैलेश की रिपोर्ट में।