वर्ष 1892 और 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर साम्राज्य के बीच हुए दो समझौतों के जरिए दोनों राज्यों में कावेरी नदी के जल के बंटवारे पर सहमति बनी थी। इसके बाद भी दोनों के बीच विवाद समय-समय पर होता रहा। आजाद भारत में तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य के गठन के बाद भी यह जल विवाद कायम रहा।
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक में भाजपा कावेरी विवाद को भड़का रही है। वो कर्नाटक सरकार पर तमिलनाडु को पानी नहीं देने का दबाव बना रही है। जबकि नदी किसी एक राज्य की नहीं होती है।
कावेरी जल विवाद फिर से जिन्दा हो गया है। कर्नाटक और तमिलनाडु फिर आमने-सामने है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में अपना फैसला सुना दिया लेकिन आज तक इसका समाधान नहीं हो सका। इस मुद्दे पर मंगलवार 26 सितंबर को बंद बुलाया गया। कर्नाटक में भाजपा-जेडीएस इसकी आड़ में पूरी राजनीति कर रहे हैं।