सनातन धर्म संबंधी अपनी टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि उन्होंने केवल इसकी आलोचना की है। भाजपा उनके बयान को ''तोड़-मरोड़ कर पेश'' कर रही है। लेकिन वो अपने बयान पर कायम हैं। मेरे भाषण के अंश सुने जा सकते हैं।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह "संविधान के प्रावधानों और लागू कानून के अनुसार एससी/एसटी/एसईबीसी और ओबीसी के उत्थान के लिए सभी सकारात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
सुप्रीम कोर्ट ने आज बिहार जाति जनगणना पर लगी रोक पर स्टे देने यानी रोक को हटाने से इनकार कर दिया। हालांकि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आज कहा कि यह सर्वे है, जनगणना नहीं लेकिन अदालत ने दलील को नामंजूर कर दिया।
लोकतंत्र में हर राजनीतिक दल को रैली करने का अधिकार है। कई बार वे जाति आधारित रैलियां भी करते हैं। उत्तर भारत में ऐसी रैलियां चुनाव के मद्देनजर ज्यादा होती हैं। इसे 2013 से यूपी के शख्स ने हाईकोर्ट में चैलेंज कर रखा है। हाईकोर्ट ने आज बुधवार को इस पर चुनाव आयोग, सरकार से हलफनामा मांगा है।
जातीय जनगणना पर बीजेपी-आरएसएस के विरोध के बावजूद बिहार के सीएम नीतीश कुमार अड़ गए हैं। उन्होंने 27 मई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बिहार में ओबीसी सबसे ज्यादा है। बीजेपी जानती है कि इस जनगणना का राजनीतिक मतलब क्या है। बिहार की राजनीति इस मुद्दे पर करवट ले सकती है।
यूपी में वोट के लिए जाति की राजनीति कौन करता है? जानिए यूपी के उप मुख्यमंत्री ने ब्राह्मण को लेकर क्या कहा और कैसे दूसरे दलों को जाति की राजनीति करने वाला बताया।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और बीएसपी की मायावती पर जातिवादी राजनीति के आरोप क्यों लग रहे हैं और ये आरोप लगाने वाले क्या अपने गिरेबान में झाँक रहे हैं?
बीजेपी जातीय समरसता की बात करती रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले पिछड़ी जातियों के नेताओं की भगदड़ ने क्या इस पूरे नैरेटिव को धराशायी नहीं कर दिया है?
सम्राट मिहिर भोज पर गुर्जर व राजपूत समाज के लोगों के बीच और सुहेल देव को लेकर राजभर और राजपूत समाज के लोगों के बीच विवाद क्यों है? पहले तो ऐसा विवाद नहीं था तो आख़िर अब ऐसा क्या हो गया है?
अतिशी मरलेना को प्रेस के ज़रिए जनता को बताना पड़ा कि मेरा नाम अतिशी मरलेना है, लेकिन इससे भ्रम में न पड़ जाइए कि मैं ईसाई या यहूदी हूँ, मैं पूरी हिंदू हूँ, बल्कि और भी पक्की क्योंकि मैं क्षत्रिय हिंदू हूँ। दुष्प्रचार के झाँसे में न आइए।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दंभ भरने वाले हमारे देश में लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं इस बात का अंदाज़ा चुनाव पूर्व के दो महीनों में लगाया जा सकता है। दलों के बीच लड़ाई जाति-धर्म-कुल-गोत्र और क्षेत्र में उलझकर रह गई है।