कोलकाता में भाजपा की एक राजनैतिक रैली में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि सीएए इस देश का कानून है और हम इसे लागू कर के रहेंगे। उन्होंने कहा कि घुसपैठ को ममता बनर्जी रोक नहीं पाई।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी ने पश्चिम बंगाल में सीएए की मांग कर रहे दलित मटुआ समुदाय के एक उत्सव में भाग लेने के दौरान इस फैसले की घोषणा की।
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके पार्टी सीएए को फिर चर्चा के केंद्र में ले आई है। उसने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि सीएए कानून देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ है। उसने इसे तमिल रिफ्यूजियों से जोड़ते हुए मोदी सरकार और एआईएडीएमके के स्टैंड पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठा दिया है। पेश है तथ्यात्मक विश्लेषणः
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 यानी सीएए पर सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू होने जा रही है। यह वही कानून है, जिसके विरोध में देशव्यापी शाहीनबाग आंदोलन हुआ था। सीएए के विरोध में दो सौ से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट के सामने विचाराधीन हैं।
कृषि क़ानून, सीएए जैसे अधिकतर क़ानूनों के ख़िलाफ़ जबरदस्त आंदोलन क्यों हो रहे हैं? क्या क़ानून बनाने या सुधार करने से पहले पर्याप्त चर्चा नहीं हो रही है? पहले संशोधन विधेयक संयुक्त समितियों को भेजे जाने का चलन था, क्या अब वैसा हो रहा है?
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के ग़ैर-मुसलिम नागरिकों से भारत की नागरिकता के लिए आवेदन माँगने के केंद्र सरकार के नोटिस के ख़िलाफ़ याचिका दायर की गई है।
केंद्र सरकार ने तीन पड़ोसी देशों अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए ग़ैर-मुसलिम शरणार्थियों से कहा है कि वे भारत की नागरिकता लेने के लिए आवेदन दें।
नागरिकता क़ानून अभी सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। इस क़ानून को पारित कराने के पीछे सरकार का मकसद सिर्फ देश के एक समुदाय विशेष को चिढ़ाना और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करना था।
नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए के नियमों को ही तैयार करने में पाँच महीने और लग सकते हैं। एनआरसी के मामले में सरकार ने कहा है कि इसको पूरे देश में लागू किए जाने पर अभी तक फ़ैसला नहीं लिया जा सका है। ऐसा क्यों है?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के व्यस्ततम चौराहे पर योगी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी हिंसा में हुए सरकारी संपत्ति के नुक़सान की वसूली के लिए ज़िम्मेदार लोगों की तस्वीरों की होर्डिंग लगा दी है।
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले लोगों की तसवीरें और उनके घर का पता वाली होर्डिंग क्यों लगाई गई है? क्या इससे उनकी सुरक्षा के लिहाज से यह ठीक है? क्या यह बदला लेने की कोशिश है? मुख्यमंत्री योगी ऐसा पहले ही कह चुके हैं। क्या होगा इसका असर? सरकार ने ऐसा क्यों किया? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
नागरिकता क़ानून का खौफ़ कम क्यों नहीं हो रहा है? शाहीन बाग़ में नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट को मीडिएश पैनल गठित क्यों करना पड़ा? असम में एक महिला का मामला जो आया है कि 15 कागज़ात होने के बाद भी उन्हें एनआरसी में शामिल नहीं किया गया, क्या डराने वाली तसवीर नहीं है? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।