मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मायावती की बीएसपी आख़िर कैसा प्रदर्शन कर पाएगी? क्या गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यानी जीजीपी के साथ गठबंधन कर मायावती नये समीकरण का प्रयोग कर रही हैं?
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 28 सितंबर को भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के बसपा सांसद दानिश अली पर की गई अपमानजनक टिप्पणी और अपशब्द कहने के मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया है।
बसपा प्रमुख मायावती ने साफ़ कर दिया है कि आने वाले दिनों में किसी भी राजनैतिक गठबंधन में शामिल नहीं होगी। अकेले दम पर चुनाव लड़ने की आख़िर उनकी रणनीति क्या है?
बहुजन समाज पार्टी या बसपा आने वाले दिनों किसी भी राजनैतिक गठबंधन में शामिल नहीं होगी। पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने इसको लेकर साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अकेले दम पर आगामी चुनावों में हिस्सा लेगी।
बसपा मायावती ने पटना बैठक से ठीक पहले बयान दिया कि वो इस बैठक में शामिल नहीं होंगी। उनका यह स्टैंड शुरू से स्पष्ट था। लेकिन वो खुद ही बार-बार बता रही हैं कि विपक्षी एकता बैठक में शामिल नहीं होंगी। जानिए पूरी बातः
क्या यूपी की राजनीति करवट ले रही है। शहरी निकाय चुनाव के आंकड़े बता रहे हैं कि मुस्लिम मतदाता अब सपा-बसपा से बतौर डिफाल्ट नहीं जुड़ा है। उनकी वोटिंग का पैटर्न बता रहा है कि उनकी पंसद अब छोटी पार्टियां और यहां तक की भाजपा भी है।
समाजवादी पार्टी दलित वोट बैंक की तरफ रुख कर रही है। दलितों की मौजूदा समय में नेता मायावती की राजनीति की वजह से दलित अब अन्य पार्टियों में जा रहे हैं। बीजेपी से काफी तादाद में दलित जुड़ चुके हैं। लेकिन जो दलित बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहते हैं, वो भी सहारा तलाश रहे हैं। ऐसे में सपा की पहल रंग ला सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान राष्ट्रीय दलों के कुल चंदे में 187.026 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई, जो 2020-21 वित्त वर्ष से 31.50 प्रतिशत अधिक है।
बीएसपी प्रमुख मायावती ने गठबंधन को लेकर अपनी रणनीति स्पष्ट की है। उन्होंने रविवार को अपने जन्मदिन के मौके पर कहा कि बीएसपी किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और अकेले चुनाव लड़ेगी, चाहे वो विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव हो। मायावती ने ऐसी रणनीति क्यों अपनाई, जानिएः
बीएसपी ने इस साल कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे 10 राज्यों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति की घोषणा की है। जानिए मायावती ने क्या कहा है।
यूपी की राजनीति में बदलते घटनाक्रमों के बीच बीएसपी प्रमुख मायावती ने आज मंगलवार 20 सितंबर को योगी सरकार पर फिर हमला बोला। योगी सरकार पर लगातार हमले का आज दूसरा दिन है। अभी तक मायावती दबी जुबान से ही बीजेपी सरकार की आलोचना की है।
बीजेपी को मनुवादी पार्टी कहकर आरोप लगाती रहीं मायावती ने आख़िर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का समर्थन क्यों किया? आख़िर वह विपक्षी उम्मीदवार के पक्ष में क्यों नहीं हैं?
अगर राजभर बीएसपी के साथ जाते हैं तो मायावती का कोर वोट बैंक माने जाने वाले दलित और सुभासपा के आधार वाली अति पिछड़ी जातियों और मुसलमानों को मिलाकर उत्तर प्रदेश और विशेषकर पूर्वांचल के भीतर एक नया सियासी समीकरण तैयार हो सकता है।